पितृपक्ष 2023: श्राद्ध में कौए को भोजन कराने की क्या है परंपरा? जानें इससे जुड़ी कथा
पितरों के नाम पर कौओं को भोजन कराने की परंपरा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। श्राद्ध अपने पूर्वजों की उपासना करने का पर्व है, जो कि भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि से शुरू हो चुका है। वहीं इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होगा। इन दिनों में अपने पूर्वजों की दिंवगत आत्माओं की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं और ब्राह्मणों को घर पर बुला कर भोजन कराया जाता है। इसके अलावा पितरों के नाम पर कौओं को भोजन कराने की परंपरा भी है। हालांकि, इसको लेकर कई लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि भोजन सिर्फ कौए को ही क्यों? किसी और पक्षी को क्यों नहीं।
यदि आपके मन में भी कोई ऐसा ही प्रश्न उठता है तो आज यह असमंजस खत्म होने वाला है। दरअसल, पुराणों में इसको लेकर उल्लेख मिलता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इसके पीछे एक कथा प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि, कौआ के द्वारा खाया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त होता है। श्राद्धपक्ष में कौओं को पितरों का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि, किसी और पक्षी नहीं बल्कि सिर्फ कौए को भोजन कराया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में...
श्राद्ध पक्ष में क्यों काराया जाता है कौए को भोजन
हिन्दू मान्यता में स्वर्ग के अधिपति देवराज इन्द्र के पुत्र जयंत ने सबसे पहले कौए का रूप धारण किया था। फिर त्रेता युग में जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारकर उनको कष्ट पहुंचाया था। यह देख प्रभु श्रीराम कौए पर क्रोधित हुए और उन्होंने तिनके को अस्त्र बनाकर उसकी एक आंख पर प्रहार किया। प्रहार से उसकी एक आंख क्षतिग्रस्त हो गई। अपनी गलती का आभास होने पर कौए रूपी जयंत ने अपने अपराध के लिए प्रभु श्रीराम से क्षमा मांगी। तब श्रीराम ने उसके कौए रूप को वरदान दिया, कि तुम्हारे इस रूप को अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराया जाता है।
बता दें कि, श्राद्ध पक्ष में पितरों को कई प्रकार के स्वादिष्ट पकवान जैसे खीर, पूरी और मीठे का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से पितर संतुष्ट होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। श्राद्ध पक्ष के दौरान कौओं को भी पितरों को भोजन कराने का माध्यम माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस दौरान कौआ आपके द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण कर ले तो आपके पितर आप से प्रसन्न हैं। अगर कौए भोजन करने नहीं आये तो यह माना जाता है कि आपके पितर आपसे नाराज हैं।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।