10 सितंबर से शुरू होगा श्राद्ध पक्ष, जानिए बहू और दामाद किस परिस्थिति में कर सकते हैं सास-ससुर के लिए तर्पण
धर्म 10 सितंबर से शुरू होगा श्राद्ध पक्ष, जानिए बहू और दामाद किस परिस्थिति में कर सकते हैं सास-ससुर के लिए तर्पण
डिजिटल डेस्क, भोपाल। 10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होने जा रहा हैं, और पितृ पक्ष का समापन पितृ विसर्जनी के दिन यानी की 26 सितंबर को होगा। कहते हैं श्राद्ध पक्ष में आप पूर्वज धरती पर आते हैं। इस दौरान तर्पण, पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। अगर आप की कुण्डली में पितृदोष हैं, तो ये समय पितृदोष को कम करने के लिए बहुत लाभकारी होता है। पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध किया जाए तो घर में खुशहाली आती है। आइए जानते हैं पितरों की तृप्ति के लिए कौन, कब कर सकता है तर्पण और श्राद्ध कर्म।
पितृ पक्ष में कौन कर सकता है श्राद्ध
अगर किसी के पिता की मृत्यु हो गई है, तो उनका पिण्ड दान और जल-तर्पण पुत्र को करना चाहिए। अगर पुत्र न हो तो पोता या और पत्नी न हो तो भाई- भतीजे भी श्राद्ध कर सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार पितरों के तर्पण करने का पहला अधिकार बड़े बेटे का ही होता है।
अगर किसी व्यक्ति का पुत्र न हो तो उसका नवासा भी तर्पण कर सकता है।
अगर किसी का बेटा न हो तो सास-ससूर का पिंडदान बहू भी कर सकती है। अगर किसी का बेटा न हो तो ससुर का श्राद्ध दामाद भी कर सकता है।
अगर किसी की बेटी की शादी न हुई हो तो और उसका कोई भाई न हो तो अपने माता पिता का श्राद्ध करने का अधिकार बेटी को भी होता है।
श्राद्ध करने के नियम
तर्पण करते वक्त काले तिल और कुशा उपयोग किया जाना चाहिए।
जनेऊ धारण करने वाले जल तर्पण करते वक्त जनेऊ को बाएं की बजाय दाएं कंधे पर रखें। श्राद्ध कर्म में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है।
पितृपक्ष के दिनों में आप हमेशा सात्विक भोजन करें। ध्यान रहे इन 16 दिन में घर में कलह न हो।
डिसक्लेमरः ये जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर बताई गई है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।