रिद्धि- सिद्धी के दाता की पूजा के बाद जरूर सुनें कथा, जानें पूजा का मुहूर्त
विनायक चतुर्थी रिद्धि- सिद्धी के दाता की पूजा के बाद जरूर सुनें कथा, जानें पूजा का मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की चतुर्थी तिथि को रिद्धि- सिद्धी के दाता और प्रथम पूज्य श्री गणेश की विशेष पूजा की जाती है। प्रत्येक मास में दो चतुर्थी पड़ती है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। फिलहाल, 23 फरवरी 2023 यानी कि आज गणेश चतुर्थी है। शुक्ल पक्ष में पड़ने के कारण इसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
विनयाक चतुर्थी पर विग्घहर्ता गणेश जी की पूजा- अर्चना और व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करे के साथ व्रत रखने का विधान है। विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। विनायक चतुर्थी पर इसलिए पूजा के समय व्रत कथा सुननी चाहिए। आइए जानते हैं पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त...
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ: 23 फरवरी, गुरुवार सुबह 3 बजकर 24 मिनट से
चतुर्थी तिथि समापन: 24 फरवरी, शुक्रवार रात 1 बजकर 33 मिनट तक
विनायक चतुर्थी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा नदी के तट पर भगवान शिव और माता पार्वती बैठे थे तभी माता पार्वती ने भगवान शिव से चौपड़ खेलने के लिए कहा। लेकिन समस्या यह आ गई कि खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा? इसलिए भगवान शिव ने एक मिट्टी का पुतला बनाया और उसमें जान डाल दी। उस के बाद भगवान शिव ने उसे बताया कि हम चौपाल खेल रहे हैं तुम जीतने वाले का फैसला करना फिर भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ खेलने लगे। इस खेल में मां पार्वती की जीत हुई। फिर बालक को विजेता का नाम बोलने के लिए कहा गया तो उसने शिवजी को विजेता घोषित कर दिया। जिसके बाद माता पार्वती बालक के फैसले पर क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को श्राप दे दिया। बालक को फिर अपनी गलती का आभास हुआ और उसने माता पार्वती से माफी मांगी। तब माता पार्वती ने बताया की श्राप वापस नहीं लिया जा सकता। जिसके बाद माता पार्वती ने बालक को श्राप मुक्ति के उपाय बताए। माता ने बालक को बताया कि श्रीगणेश की पूजा - अर्चना के लिए नागकन्याएं आएंगी। तुम उनके कहे अनुसार व्रत और पूजन करना, जिससे तुम इस श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। पूरा एक साल बीतने के बाद वहां नागकन्याएं आईं। बालक ने नागकन्याओं के बताए अनुसार 21 दिनों तक भगवान गणेश का पूजन और व्रत किया। जिसके बाद भगवान गणेश उस बालक की निष्ठा और श्रद्धा से प्रसन्न हुए और वर मांगने को कहा। तब बालक ने कहा-‘हे प्रभु आप मुझे माता पार्वती के दिए श्राप से मुक्त कर दीजिए। जिसके बाद भगवान गणेश के आशीर्वाद से बालक श्राप मुक्त हो गया। तब ही विनायक चतुर्थी मनाई जाती है।
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