सूर्य देव को संध्या अर्घ्य का विधान
छठ पूजा का तीसरा दिन सूर्य देव को संध्या अर्घ्य का विधान
डिजिटल डेस्क, बिहार। छठ महापर्व बहुत उल्लास और धूमधाम से मनाया जा रहा है। विशेष तौर पर यूपी, बिहार और झारखंड में इसकी चमक देखते ही बनती है। छठ पर्व का आज तीसरा दिन है। इसे डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। आज शाम को सूर्य देव को संध्या अर्ध्य दिया जाएगा। सूर्य देव को कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को संध्या अर्ध्य दिया जाता है। डुबते सूर्य को संध्या अर्घ्य देने का रिवाज केवल छठ में ही है। सूर्य देव को अर्घ्य देकर, पांच बार परिक्रमा लगाई जाती है। मान्यता है कि सायंकाल में सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसीलिए शाम के समय सूर्य देव की अंतिम किरण प्रत्यूषा को संध्या अर्ध्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
सूर्य उपासना का यह पर्व बहुत ही कठिन होता है। आज के ही दिन सूर्य देव की उपासना के लिए उनका भोग भी बनाया जाता है। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहनकर भोग बनाया जाता है। सूर्यास्त के दौरान व्रती सूर्य देव की पूजा की तैयारी करते हैं। सायंकाल को बांस की टोकरी में विभिन्न प्रकार के फलों, चावल के लड्डु और ठेकुआ से सूर्य अर्ध्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद व्रती अपने परिवार संग सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके अगले दिन यानी चौथे दिन सुबह सूर्यदेव को दूसरा अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण पूर्ण किया जाता है।
जानें सूर्यास्त का समय
आज सायंकाल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 30 मिनट है। छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर होगा।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का सही तरीका
आज के दिन सबसे पहले छठ पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री को बांस की टोकरी में जमाएं। साथ ही सायंकाल में सूर्य देव को अर्घ्य देने वाली सभी प्रसाद सूप में अच्छी तरह सजाएं साथ ही एक दीपक जलाएं। इसके बाद नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए। सूर्यदेव को अर्ध्य देते समय ‘ओम सूर्याय नमः’ या ‘ओम घृणिं सूर्याय नमः, ओम घृणिं सूयर्रू आदित्यरू, ओम ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा’ मंत्रादि का उच्चारण करना चाहिए।