सावन शिवरात्रि: व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सावन शिवरात्रि: व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
डिजिटल डेस्क। हर साल फाल्गुन मास में पड़ने वाली महाशिवरात्रि के साथ सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन शिवरात्रि हर साल सावन के महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आती है, जो कि इस वर्ष 30 जुलाई मंगलवार को है। मान्यता है कि सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि के दिन शिव की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट तो दूर होते हैं साथ ही इस शिवरात्रि के दिन पूजा और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रदोष काल में पूजा
शिवरात्रि हर महीने में आती है, ऐसे में जो भक्त मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते हैं वे भी सावन के शिवरात्रि से इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन जलाभिषेक का भी विशेष महत्व है। इस दिन बेलपत्र, बिल्व, धतूरा भी भोले शंकर को अर्पित किया जाता है। इस दिन व्रत रखें और दिनभर फलाहार करें। कैसे करें शिवरात्रि पूजा और व्रत ? और क्या है शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं...
सावन शिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त
सुबह और शाम शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करना उत्तम रहता है। सोमवार जहां भगवान शिव को समर्पित है वहीं, मंगलवार का दिन माता पार्वती को समर्पित होता है। यह दिन सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत का भी है। यूं तो यह पूरा दिन ही बहुत शुभ माना गया है। लेकिन इस बार सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9.10 से दोपहर 2.00 बजे तक है।
शिवरात्रि के मौके पर त्रोयदशी और चतुर्दशी में जल चढ़ाने का विशेष विधान है। ऐसे में त्रोयदशी 29 जुलाई (सोमवार) को शाम पांच बजकर 9 मिनट से शुरू हो जाएगा। ऐसे में इसी समय से जलाभिषेक भी शुरू हो जाएगा। इसके बाद 30 जुलाई को 2 बजकर 49 मिनट पर चतुर्दशी प्रारंभ होगा। ऐसे में त्रोयदशी और चतुर्दशी के संगम काल में अगर जल चढ़ाया जाए तो यह सबसे शुभ होगा।
शिवरात्रि की पूजा विधि
शिवरात्रि व्रत में उपवास या फलाहार की मान्यता है। ऐसे में साधकों को पूरी तैयारी पहले ही कर लेनी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठे। घर आदि साफ कर स्नान करें और साफ वस्त्र पहने। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर या शिवालय जाकर शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गन्ने का रस या चीनी का मिश्रण) चढ़ाएं। अब 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करते हुए शिवलिंग पर एक-एक कर बेल पत्र, फल और फूल चढ़ाएं। सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ को तिल चढ़ाने से पापों का नाश होता है, वहीं मनचाहा वर पाने के लिए चने की दाल का भोग लगाना चाहिए। घर में सुख-शांति के लिए धतूरे के पुष्प या फल का भोग लगाया जाता है। वहीं शत्रुओं पर विजय पाने या कोर्ट केस जीतने के लिए शिवलिंग पर भांग भी चढ़ाई जाती है।