सावन शिवरात्रि: आज ऐसे करें महादेव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
सावन शिवरात्रि: आज ऐसे करें महादेव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन मास में इस शिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। सावन मास में शिव की पूजा करने से बाधाएं समाप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आज 19 जुलाई, रविवार को मासिक शिवरात्रि है। इस दिन आद्रा नक्षत्र भी पड़ रहा है। सावन की शिवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना कर शिवजी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। इस शिवरात्रि पर विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
इस दिन व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से उपासक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत रखने वाले उपासक को यह व्रत प्रात: काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यंत तक करना चाहिए। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और ‘ओम् नम: शिवाय’ का जप करते रहना चाहिए।
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मासिक शिवरात्रि: चार प्रहार पूजा समय
19 जुलाई: प्रथम प्रहर पूजा समय: शाम 07:19 बजे से रात 09:53 बजे तक
20 जुलाई- द्वितीय प्रहर पूजा समय: रात 09:53 बजे से रात 12:28 बजे तक
20 जुलाई- तृतीय प्रहर पूजा समय: रात 12:28 बजे से रात 03:02 बजे तक
20 जुलाई- चतुर्थ प्रहर पूजा समय: रात 03:02 बजे से सुबह 05:36 बजे तक
व्रत विधि
शिव चतुर्दशी व्रत में महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा की जाती है। शिव जी की पूजा में प्रथम भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। उनके अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से अभिषेक किया जाता है। अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करते हैं।
पूजा के अंत में गांजा,भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित किया जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन किया जाता है। शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।
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रात को सोते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए:-
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।।
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू।
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।।
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।