Ramadan 2020: रमजान का रोजा आज से शुरू, देश के कई हिस्सों में हुआ चांद का दीदार
Ramadan 2020: रमजान का रोजा आज से शुरू, देश के कई हिस्सों में हुआ चांद का दीदार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस्लाम धर्म के सबसे पाक महीना कहे जाने वाले रमजान की शुरुआत आज शनिवार से हो चुकी है। शुक्रवार को एदार ए शरिया के महासचिव मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी और इमारत ए शरिया के मुफ्ती अनवर कासमी ने रमजान उल मुबारक महीने का चांद देखे जाने की घोषणा की। जिसके हिसाब से रमजान उल मुबारक महीने का पहला रोजा आज से शुरु हुआ।
वैसे तो रमजान का महीना आते ही लोगों के चेहरे पर एक रौनक आ जाती है। बाजारों में खाने-पीने के खास सामान खरीदे जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी पर्व और त्याहौर घरों में ही मनाए जा रहे हैं। वहीं धर्मगुरु ने भी मुस्लिम समाज के जोगों से घर में 5 वक्त की नमाज पढ़ने की अपील की है।
आपको बता दें कि रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभ में से एक है। 30 दिनों तक चलने वाला यह पवित्र पर्व रमजान अल्लाह के इबादत का पर्व है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे तीस दिन इस चिलचिलाती धूप और गर्मी में रोजा रख हर रोज शाम को इफ्तार करेंगे। मालूम हो कि रमजान के ठीक तीसवें दिन ईद का पर्व मनाया जाता है, जो इस वर्ष 23 मई को मनाया जाएगा।
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रमजान में 6 बार नमाज
बता दें कि इस्लाम में हर मुसलमान को दिन में 5 बार नमाज पढ़ने का नियम है, लेकिन रमजान में 6 बार नमाज पढ़ी जाती है। छठी नमाज रात में होती है, इसे ही तरावीह कहा जाता है। रमजान में इस नमाज में हर दिन थोड़ा-थाेड़ा कर के पूरी कुरान पढ़ी जाती है। रमजान के इस महीने में मुस्लिमों के द्वारा फितरा और जकात अपनी हैसियत के मुताबिक देना होता है।
रोजे के दौरान ध्यान रखने वाली मुख्य बातें
- रमजानन का चांद दिखाई देने के बाद सुबह को सूरज निकलने से पहले सहरी खाकर रोजा रखा जाता है। जबकि सूर्य ढलने के बाद इफ्तार होता है। जो लोग रोजा रखते हैं वो सहरी और इफ्तार के बीच कुछ भी नहीं खा-पी सकते।
- रोजे का मुख्य नियम यह है कि रोजा रखने वाला मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी न खाए। इनमें सहरी, रोजे का अहम हिस्सा है। सहरी का मतलब, सूरज निकलने से पहले ही उठकर रोजदार खाना-पीना करें। सूरज उगने के बाद रोजदार सहरी नहीं ले सकते।
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- रोजे का मतलब सिर्फ उस अल्लाह के नाम पर भूखे-प्यासे रहना ही नहीं है। इस दौरान आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। इसका मतलब यह कि न ही तो इस दौरान कुछ बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें।
- इस्लाम के अनुसार पांच बातें करने पर रोजा टूटा हुआ माना जाता है। इनमें बदनामी करना, लालच करना, पीठ पीछे बुराई करना, झूठ बोलना और झूठी कसम खाना शामिल है।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने की अपील
"कोई भी मुसलमान रमजान में मस्जिदों से दूर नहीं रहना चाहता। लेकिन कोरोना के कहर के कारण पूरी दुनिया और हिंदुस्तान के उलेमाओं ने तय किया है कि इस पाक महीने में मस्जिदों, अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नमाज और इफ्तार का आयोजन नहीं करेंगे। घरों में भी नमाज पढ़ेंगे। हमें इस महीने खुदा से दुआ करनी चाहिए कि हमारे मुल्क और पूरी दुनिया को कोराना से निजात मिले और इंसानियत की रक्षा हो।"
- मुख्तार अब्बास नकवी, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, भारत सरकार