शारदीय नवरात्रि : जानिए कैसे करें शक्ति अराधना
शारदीय नवरात्रि : जानिए कैसे करें शक्ति अराधना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुकी है। इसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। साल में नवरात्रि दो बार मनाई जाती है पहला चैत्र मास में और दूसरा अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि। शारदीय नवरात्रि में दसवें दिन दशहरा जिसे विजयादशमी भी कहते हैं मनाया जाता है।
माता की नौ स्वरूप क्रमशः हैं –
1- शैलपुत्री
2- ब्रह्मचारिणी
3- चंद्रघंटा
4- कुष्मांडा
5- स्कंदमाता
6- कात्यायनी
7- कालरात्रि
8- महागौरी और
9- सिद्धिदात्री।
पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना-पूजा करने से जीवन में ऋद्धि-सिद्धि, सुख-शांति, मान-सम्मान और यश-समृद्धि की प्राप्ति शीघ्र ही हो जाती है। देवी माता दुर्गा हिन्दू धर्म में आदिशक्ति के रूप में विख्यात है तथा दुर्गा माता शीघ्र फल प्रदान करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध है।
देवी भागवत पुराण के अनुसार आश्विन मास में शारदीय देवी माता की पूजा-अर्चना या व्रत-उपवास करने से सब पर देवी दुर्गा की कृपा सम्पूर्ण वर्षभर बनी रहती है और जातक का कल्याण होता है
शारदीय नवरात्रि 2018
शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू होगी जो 19 अक्टूबर तक चलेगी। आइए बताते हैं किस दिन होगी किस देवी की पूजा।
प्रथमा तिथि घटस्थापना, चन्द्रदर्शन, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी पूजा 10 अक्टूबर 2018 बुधवार
द्वितीय तिथि सिन्दूर चंद्रघंटा 11 अक्टूबर 2018 बृहस्पतिवार
तृतीया तिथि कुष्मांडा 12 अक्टूबर 2018 शुक्रवार
चतुर्थी तिथि स्कंदमाता 13 अक्टूबर 2018 शनिवार
पंचमी तिथि सरस्वती आवाहन 14 अक्टूबर 2018 रविवार
षष्ठी सप्तमी तिथि कात्यायनी, सरस्वती पूजा 15 अक्टूबर 2018 सोमवार
सप्तमी तिथि कालरात्रि 16 अक्टूबर 2018 मंगलवार
अष्टमी तिथि महागौरी 17 अक्टूबर 2018 बुधवार
नवमी तिथि सिद्धिदात्री 18 अक्टूबर 2018 बृहस्पतिवार
दशमी तिथि विजयादशमी 19 अक्टूबर 2018 शुक्रवार
कलश (घट) स्थापना और पूजा का समय
10 अक्टूबर 2018 सुबह 09:13 बजे से दोपहर 12:13 बजे तक
अष्टमी और नवमी के दिन माता महागौरी की पूजा करें तथा उस दिन उपवास व्रत के साथ-साथ कन्या पूजन का भी विधान है। यदि कोई व्यक्ति नौ दिनों तक पूजा करने में समर्थ नहीं है और वह माता के नौ दिनों के व्रत का फल लेना चाहता है तो उसे प्रथम नवरात्र तथा अष्टमी का व्रत करना चाहिए। माता उसे भी मनवांछित फल प्रदान करती हैं।