जानिए भगवान राम के नेत्र दान की पौरणिक कथा, जिसके बाद हुआ था रावण का वध

दशहरा जानिए भगवान राम के नेत्र दान की पौरणिक कथा, जिसके बाद हुआ था रावण का वध

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-14 11:51 GMT
जानिए भगवान राम के नेत्र दान की पौरणिक कथा, जिसके बाद हुआ था रावण का वध

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  दशहरा महापर्व धूम-धाम से पूरे विश्व में मनाया जाता है। दशहरा असत्य पर सत्य तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भगवान राम ने रावण का वध करके धरती को पापमुक्त किया था। लेकिन भगवान राम को इसके लिए अपना एक नेत्र तक दान करना पड़ा था। हम में से अधिकांश लोग इस कथा के बारे में नहीं जानते। पर आज हम यह जानने वाले हैं कि भगवान राम को आखिर 
अपना एक नेत्र क्यों दान करना पड़ा था। 

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने रावण के वध के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया। लगातार नौ दिनों तक उन्होंने मां दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश की। भगवान राम के निरंतर आह्वान से देवी दुर्गा का ध्यान उनकी ओर केंद्रित हुआ। राम भगवान मां दुर्गा का आशीर्वाद यानी उनकी शक्ति चाहते थे। कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने उनकी शक्ति देने से पहले भगवान राम की परीक्षा लेने का निर्णय किया। 
राम भगवान को पूजा के दौरान एक कमल का फूल कम दिखा। उस वक्त उसके बदले में भगवान राम ने अपने नेत्र दान करने का निर्णय लिया। इस पूजा में भगवान राम को पूरी तरह समर्पित देख देवी दुर्गा बेहद प्रसन्न हुई। भगवान राम अपने नेत्र को दान करते उसके पहले ही मां दुर्गा ने भगवान राम को दर्शन दिए। मां ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए भगवान राम को रावण का वध करने की शक्ति दी। मां के आशीर्वाद के
प्रताप से भगवान राम ने दशहरे के दिन रावण का वध कर दिया। 
इस प्रकार भगवान राम ने परीक्षा देकर मां दर्गा से आशीर्वाद लिया था। दशहरा हिंदुओं का खास पर्व है। इस दिन मां दुर्गा ने भी महिषासुर का वध किया था। यही वजह है कि दशहरा को विजय दशमी भी कहा जाता है। 

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