जानें काल भैरव से संबंधित जानकारी और उपाए

कल है काल भैरव अष्टमी जानें काल भैरव से संबंधित जानकारी और उपाए

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-15 16:41 GMT
जानें काल भैरव से संबंधित जानकारी और उपाए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जो भी जातक अगहन (मार्गशीर्ष) मास की कृष्ण पक्ष की काल भैरव अष्टमी तिथि का व्रत रखता है और उनकी पूजा, साधना या उनकी उपासना करता है वह समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता है। इस बार अगहन (मार्गशीर्ष) काल भैरव अष्टमी 16 नवम्बर बुधवार को पड़ रही है। इस दिन पूजन अर्चन करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर बल, बुद्धि, तेज, यश, धन तथा मुक्ति प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं काल भैरव से संबंधित कुछ विशेष जानकारी और उपाय ...

चमत्कारी भैरव मंत्र-
"ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं"।

भैरव को शिव जी का अंश अवतार माना गया है। रूद्राष्टाध्याय तथा भैरव तंत्र से इस तथ्य की पुष्टि होती है। भैरव जी का रंग श्याम है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें वे त्रिशूल, खड़ग, खप्पर तथा नरमुंड धारण किए हुए हैं।

उनका वाहन श्वान यानी कुत्ता है।
भैरव श्मशानवासी हैं तथा ये भूत-प्रेत, योगिनियों के स्वामी हैं।
भक्तों पर कृपावान और दुष्टों का संहार करने में सदैव तत्पर रहते हैं।
रविवार एवं बुधवार को भैरव की उपासना का दिन माना गया है।
भैरव की प्रसन्नता के लिए श्री बटुक भैरव मूल मंत्र का पाठ करना शुभ होता है।
श्री काल भैरव अपने उपासक की दसों दिशाओं से रक्षा करते हैं।

काल भैरव को प्रशन्न करने के रामबाण उपाय:-
आप अपने जीवन में प्रतिदिन किसी न किसी प्रकार की परेशानियों से जूझ रहे हैं तो इन 10 उपाय में से कोई भी उपाय अपना सकते हैं और काल भैरव को प्रसन्न कर अपना जीवन सरल बना सकते हैं। वैसे तो काल भैरवनाथ को प्रसन्न करना बहुत सरल है लेकिन कहीं वे रूठ जाएं तो मनाना बड़ा कठिन हो जाता है। काल भैरव अष्टमी पर कुछ विशेष सरल उपाय जो निश्चित रूप से भैरव महाराज को प्रसन्न करते हैं।

1.काल भैरव अष्टमी पर एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लकीर खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को आगे भी करते रहें किन्तु मात्र इन तीन दिनों में रविवार, बुधवार और गुरुवार। यही तीन दिन भैरव नाथ के माने जाते हैं।
2. उड़द के पकौड़े सप्तमी की रात को कड़वे तेल यानि सरसों के तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। काल भैरव अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6 से 7 के बीच बिना किसी से कुछ बोले घर से निकलें और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिला दें। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। 
3. अष्टमी के दिन नगर के किसी ऐसे भैरव नाथ जी का मंदिर खोजें जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और इमरती लेकर पहुंच जाएं। शुद्ध मन से उनकी पूजा करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ में लाए गए इमरती,नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। याद रखिए कि अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ जी विशेष प्रसन्न हो जाते हैं।
4. काल भैरव अष्टमी को कुत्ते को गुड़ खिलाएं फिर प्रति गुरुवार कुत्ते को गुड़ खिलाएं।
5. इस दिन किसी चौराहे पर जाकर कोढ़ी, भिखारी को मदिरा (शराब) की बोतल दान करें।
6. काल भैरव अष्टमी के दिन सवा किलो इमरती भैरव नाथ जी को चढ़ाएं और कुत्तों को खिला दें।
7. काल भैरव अष्टमी के दिन कड़वे यानि सरसों के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और गरीब बस्ती में जाकर बांट दें।
8. काल भैरव अष्टमी के दिन किसी भी भैरव मं‍दिर में गुलाब, चंदन और गुगल की सुगन्धित गिनती की 33 अगरबत्ती जलाएं।
9. काल भैरव अष्टमी के दिन से पांच नींबू, पांच शुक्रवार तक भैरव जी को चढ़ाएं।
10. काल भैरव अष्टमी के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, 111 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में चढ़ा दें।
11.काल भैरव अष्टमी के दिन कुत्ते को मिष्ठान खिलाकर दूध पिलादें।
12. काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव नाथ की पूजा में श्री बटुक भैरव सहस्त्रनाम का पाठ करें।
 

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