हरतालिका तीज व्रत: दो अलग तिथियों में होगा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हरतालिका तीज व्रत: दो अलग तिथियों में होगा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
डिजिटल डेस्क। भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह ही हरतालिका तीज भी सुहागिनों का व्रत है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता गौरी और भगवान भोले नाथ की आराधना करती हैं। हालांकि कई अविवाहित कन्या भी इक्षित वर को प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।
इस बार जन्माष्टमी की ही तरह हरतालिका तीज की तिथि को लेकरक असमंजस की स्थिति बन गई है। कुछ ज्योतिषों के अनुसार यह व्रत 1 सितंबर को होगा, वहीं कुछ 2 सितंबर को व्रत होने की बात कह रहे हैं।
तिथि और शुभ मुहूर्त
1 सितंबर को सूर्योदय द्वितीया तिथि में होगा जो 8 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद से तृतीया यानी तीज शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 2 सितंबर को सूर्योदय से पूर्व ही सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर तृतीया समाप्त होकर चतुर्थी शुरू हो जाएगी। ऐसे में जो व्रती 1 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रख रहे हैं उनके लिए पूजन का शुभ मुहूर्त शाम में 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 58 मिनट तक है। जबकि 2 सितंबर को व्रत रखने वालों को सूर्योदय से 2 घंटे के अंदर ही तीज का पूजन कर लेना होगा। इनके पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक है।
- संध्या के समय फिर से स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं।
- दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
- सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें।
- शिवजी को वस्त्र अर्पित करें।
- अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें।
- इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें।
- अब भगवान की परिक्रमा करें।
- रात को जागरण करें और सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं।
- फिर ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें।
- सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें। इसके लिए गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद। इसके अलावा मां पार्वती की सुहाग सामग्री में मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी शामिल हैं।
- यदि आप एक बार हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं, तो फिर हर साल यह व्रत रखना होता है। किसी कारण यदि आप व्रत छोड़ना चाहती हैं तो उद्यापन करने के बाद अपना व्रत किसी को दे सकते हैं।
- हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है। हरतालिका तीज व्रत के दौरान महिलाएं बिना अन्न और जल ग्रहण किए 24 घंटे तक रहती हैं।
- पूजा के बाद सुहाग की समाग्री को किसी जरूरतमंद व्यक्ति या मंदिर के पुरोहित को दान की जाती है।
- इस व्रत के दौरान रात में जागरण होता है, जहां महिलाएं भजन कीर्तन करती हैं, यानी रात में सोया नहीं जाता।
- अगले दिन शिव-पार्वती की पूजा करने बाद और प्रसाद बांटने के बाद ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता पार्वती ने पहली बार इस व्रत को किया था, जिसमें उन्होंने अन्न और जल ग्रहण नहीं किया था। इसलिए यह व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती और गणेश जी की पूजा की करती हैं। यह व्रत निर्जला किया जाता है, जिसमें महिलाएं थूक तक नहीं गटक सकती हैं।
भोजपुरी सभ्यता
भोजपुरी सभ्यता में इस व्रत का बहुत महत्व माना जाता है, जहां महिलाएं गीली, काली मिट्टी या बालू रेत से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं। इस व्रत के नियम के अनुसार इसे एक बार प्रारंभ करने पर हर साल पूरे नियम धर्म से किया जाता है। इस दिन विवाहित एवं अविवाहित महिलाएं एकत्रित होकर रतजगा (जागरण) में भजन कीर्तन करती हैं।