हरतालिका तीज 2020: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करती हैं ये व्रत, जानें पूजा विधि
हरतालिका तीज 2020: अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करती हैं ये व्रत, जानें पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को चित्रा नक्षत्र में तीज का व्रत रखा जाता है। जो कि इस बार 20 अगस्त 2020 को है। इस दिन महिलाएं अपने अखण्ड सौभाग्य, सुख एवं आरोग्यता के लिए माता गौरी का व्रत एवं पूजा करती हैं। इस दिन सुहागन स्त्रियां अखण्ड सौभाग्य के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए व्रत करती हैं। इसके अगले दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। जबकि इससे पहले आज नहाय खाय के साथ यह व्रत शुरू हो जाएगा।
आज गुरुवार को सुबह 6 बजकर 18 मिनट से द्वितीया तिथि प्रारंभ हो चुकी है, जो रात 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इस समय में महिलाएं पूरे दिन समयानुसार नहाय खाय का कार्य करती हैं। वहीं, तृतीया तिथि की शुरुआत शुक्रवार की सुबह में होगी। महिलाएं शुक्रवार सुबह से रात 1 बजकर 59 मिनट तक और अगले दिन शनिवार की सुबह स्नान करने के बाद पारण कर सकेंगी।
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महत्व
वैसे हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह ही यह हरतालिका तीजा सुहागिनों का व्रत है। सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत पूर्णनिष्ठा भाव के साथ रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता पार्वती ने पहली बार इस व्रत को किया था, जिसमें उन्होंने अन्न और जल ग्रहण नहीं किया था। इसलिए यह व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती और गणेश जी की पूजा की करती हैं। कई अविवाहित कन्या भी इक्षित वर को प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।
यह व्रत निर्जला किया जाता है, जिसमें महिलाएं थूक तक नहीं गटक सकती हैं। भोजपुरी सभ्यता में इस व्रत का बहुत महत्व माना जाता है, जहां महिलाएं गीली, काली मिट्टी या बालू रेत से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं। इस व्रत के नियम के अनुसार इसे एक बार प्रारंभ करने पर हर साल पूरे नियम धर्म से किया जाता है। इस दिन विवाहित एवं अविवाहित महिलाएं एकत्रित होकर रतजगा (जागरण) में भजन कीर्तन करती हैं।
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पूजा में ये चढ़ाएं सामग्री
हरितालिका तीज व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। इस दौरान माता पार्वती को सुहाग सामग्री चढ़ाई जाती है, जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम और दीपक शामिल है।