जयंती 2020: जानें कौन थे गुरु गोबिंद सिंह ? सिखों को दिए थे ये पांच आदेश
जयंती 2020: जानें कौन थे गुरु गोबिंद सिंह ? सिखों को दिए थे ये पांच आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिख समुदाय के दसवें धर्म-गुरु (सतगुरु) गोबिंद सिंह जी के जन्म उत्सव को ‘गुरु गोबिंद जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना में हुआ। इस बार यह तिथि आज याी कि 02 जनवरी 2020 गुरुवार को है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर गुरुवार सुबह पंजाब (अमृतसर) के गोल्डन टेम्पल (हरमंदिर साहिब) में भक्तों ने प्रार्थना की और माथा टेका।
Amritsar: Devotees offer prayers at Golden Temple(Harmandir Sahib) on #GuruGobindSingh"s birth anniversary. #Punjab pic.twitter.com/eiVTnOPXbz
— ANI (@ANI) January 2, 2020
गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन संदेश देता है कि, जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी बुरी क्यों न हो। हमेशा अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए काम करते रहना चाहिए। आप हमेशा कुछ नया सीखते रहेंगे, तो आप में सकरात्मकता का संचार होगा। आइए जानते हैं गुरु गोबिंद के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें...
जयंती का महत्व
माना जाता है कि दसवें गुरु जी की शिक्षाओं का सिखों पर बड़ा प्रभाव है। यह वास्तव में उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा के तहत था कि खालसा ने एक सख्त नैतिक संहिता और आध्यात्मिक झुकाव का पालन किया। योद्धा, आध्यात्मिक गुरु, लेखक और दार्शनिक, गुरु गोबिंद सिंह ने कई साहित्यिक कृतियों का भी उल्लेख किया है। 1708 में, अपनी मृत्यु से पहले, दसवें गुरु ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को स्थायी सिख गुरु घोषित किया।
खालसा पंथ की स्थापना
गुरु गोबिंद सिंह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब को पूर्ण किया। कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंत की रक्षा के लिए कई बार मुगलों का सामना किया था।
दिए गए ये आदेश
सिखों के लिए 5 चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन चीजों को "पांच ककार" कहा जाता है, जिन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है।
जन्म
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष शुदि सप्तमी संवत 1723 (22 दिसंबर, 1666) को पटना शहर में गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के घर हुआ। जब वह पैदा हूए थे उस समय उनके पिता असम मे धर्म उपदेश को गए थे। उन्होंने बचपन मे फारसी, संस्कृत, उर्दु की शिक्षा ली और एक योद्धा बनने के लिए मार्शल कौशल सीखा।
गुरु गोबिंद सिंह जी का विवाह सुंदरी जी से 11 साल की उम्र में 1677 में हुआ। उनके चार पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जूझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे।
आखिरी समय
गुरू गोबिंद सिंह जी वीरता और साहस के प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने औरंगजेब की क्रूर नीतियों से धर्म की रक्षा के लिए सिखों को संगठित किया और सिख कानून को सूत्रबद्ध किया। इन्होंने कई काव्य की रचना की। इनकी मृत्यु (7 अक्टूबर 1708) के बाद इन काव्यों को एक ग्रंथ के रूप में संग्रहित किया जो दसम ग्रंथ के नाम से जाना जाता है। सिखों के लिए यह पवित्र ग्रंथ गुरू गोबिंद सिंह जी का हुक्म माना जाता है।