सावन का 5 वां मंगला गौरी व्रत: जानिए माता पार्वती के इस रूप की कैसे करें पूजा, क्या है इस दिन का महत्व
- विशेषकर शादीशुदा महिलाएं रखती हैं व्रत
- माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन माह में भगवान शिव की पूजा के साथ मंगला गौरी व्रत का भी विशेष महत्व होता है। माता पार्वती के इस व्रत की पूजा सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को विधि विधान के साथ की जाती है। आज यानी 1 अगस्त को पांचवा मंगला गौरी व्रत पड़ रहा है। माता पार्वती के इस व्रत की पूजा विशेषकर शादीशुदा महिलाएं ही करती हैं। मान्यता है कि, महिलाएं पति की लंबी आयु और दांप्तय जीवन की सलामती हेतु मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं। साथ ही, इस व्रत को रखने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ती होती है और माता पार्वती की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि
- इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।
- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।
- मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें। फिर "मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
जानिए मंगला गौरी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में मंगला गौरी व्रत का अत्यधिक महत्व होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां गौरी का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है और शादीशुदा महिलाओं पर मां गौरी की विशेष कृपा बनी रहती है। इस व्रत का नियमत रूप से पालन करने से संतान प्राप्ति में आ रही परेशानी, वैवाहिक जीवन में कलह, शादी संबंधों में आ रही दिक्कतें समाप्त हो जाती हैं।
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