Mangala Gauri Vrat 2024: कल है श्रावण मास का अंतिम मंगला गौरी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
- विवाहित महिलाएं सुखी जीवन की कामना करती हैं
- भगवान शिव और - पार्वती की पूजा करती हैं
- इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। श्रावण मास चल रहा है और तीसरा सोमवार निकल चुका है। इस महीने का समापन सोमवार 19 अगस्त को होगा। लेकिन इस सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) श्रावण शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन यानि कि कल 13 अगस्त को पड़ रहा है। यह व्रत माता गौरी को समर्पित होता है और प्रत्येक सावन सोमवार के बाद आता है। इस दिन विवाहित महिलाएं जीवन साथी और संतान के सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं। वहीं अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत दोनों के लिए ही सौभाग्यशाली है। भविष्यपुराण और नारदपुराण के अनुसार श्रावण मास में मंगलवार के व्रत रखने से सुखों में वृद्धि होती है। इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिन्हें पूजा-पाठ के लिए उत्तम माना जाता है। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है, जो शाम 04 बजकर 34 तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा। यही नहीं इस दिन अनुराधा नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है, जो कि सुबह 10 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और इस दिन रवि योग भी बन रहा है। ये सभी मुहूर्त पूजा के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं।
व्रत विधि
- इस व्रत के लिए ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण करें।
- पूजा के दौरान मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
इसके बाद "मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।
पूजा की विधि
मां की पूजा के दौरान सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए। इनमें 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां और मिठाई चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए। पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुननी चाहिए।
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