कानपुर: अमावस्या पर करौली सरकार पूर्वज मुक्ति धाम में श्री करौली शंकर महादेव ने दिया ऐसा ज्ञान कि भाव विभोर हों उठे भक्त

  • गुरुजी ने कहा भगवान श्री कृष्ण ने जो गीता का संदेश दिया है
  • गीता का असली संदेश जिससे स्वयं और अगली पीढ़ी के चरित्र का विकास हो ऐसा ज्ञान मानवजाति के सामने आना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-16 09:55 GMT

कानपुर स्थित करौली सरकार पूर्वज मुक्ति धाम में गुरुवार यानी अमावस्या को हुए पूर्वज मुक्ति कार्यक्रम में श्री करौली शंकर महादेव ने कुछ ऐसा कहा जिससे भक्तों के अंदर भक्ति भाव उमड़ पड़ा। श्रीमद्भगवद्गीता पर उनका नज़रिया ना केवल प्रेरणादायक था परंतु वहां मौजूद भक्तो को जीवन में एक नई दिशा देने वाला भी था।

उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान सर्वव्यापी है व मानव कल्याण के लिए उचित है परंतु कोई उस ज्ञान की बात नहीं करता। कथवाचको पर तंज कसते हुए करौली शंकर महादेव ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जो गुण असल में समाज को बताए जाने चाहिए वह नहीं बताए जाते है । और उनकी एक अलग नटखट छवि बना दी जाती है जो उचित नहीं है।

गुरुजी ने कहा भगवान श्री कृष्ण ने जो गीता का संदेश दिया है, उससे लोगो की बुद्धि एवं आत्मा का विकास हो सकता है, यह ज्ञान समाज के काम का है,लोक एवं परलोक दोनों जगह काम आने वाला है।  

श्री कृष्ण के वास्तविक गुणों के बारे में बताते हुए गुरुजी ने कहा कि जितने भी कथावाचक जिन अवगुणों का बखान कर रहे है वह वास्तव में श्री कृष्ण के चरित्र को धूमिल कर रहें है, उन्होंने कहा की “जहाँ यह लोग गोकुल और वृंदावन में कृष्ण की लीलाओं का बखान करते है, यह कहते है कि 12 वर्ष तक श्री कृष्ण वहाँ रहे थे, और उसके बाद वह मथुरा की और प्रस्थान कर गये, क्या 12 वर्ष का बच्चा गोपियों के कपड़े चुराना, घर में माखन का भंडार होते हुए भी माखन चुराना, गोपीकाओं की मटकी फोड़ना उन्हें छेड़ना , उनके साथ रास लीला करना , क्या यह सब कर सकता है?

वह भी उस देश में रहने वाला बालक जहाँ महान सनातन परंपरा के गुरुकुल थे, नहीं यह श्री कृष्ण नहीं हो सकते, यह एक आम मनुष्य के अवगुण हैं, वह मानवीय अवगुणों का बखान करते है। परंतु श्री कृष्ण के जो वास्तविक गुण है, जिन गुणों की पूजा होनी चाहिए उनका बखान नहीं करते।"

श्री करौली शंकर महादेव का कहना था कि जो समाज के लिए प्रेरणादायक है उसका प्रचार कोई भी नहीं करता। ऐसे गुणों का बखान ना किया जाये जिससे हमारे समाज में व्याभिचार फैले या मानव चरित्र का पतन हो।

गीता का असली संदेश जिससे स्वयं और अगली पीढ़ी के चरित्र का विकास हो ऐसा ज्ञान मानवजाति के सामने आना चाहिए, जिससे हर मानव योगेश्वर श्री कृष्ण को जाने जो वास्तव में उनकी छवि है उसे जाने। श्री करौली शंकर गुरुदेव ने उदाहरण देते हुए कहा की हम महर्षि वाल्मीकि का पूजन करते हैं ना  कि डाकू अंगुलिमाल का, उसी प्रकार हम योगेश्वर श्री कृष्ण का पूजन करते है जिन्होंने गीता का ज्ञान दिया ना कि उस कृष्ण का, जिसका यह कथावाचक दुष्प्रचार करते है।

श्री करौली शंकर गुरुजी अपने करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम में प्रतिदिन दरबार लगाते है जहां हजारों की संख्या में भक्त आकर उनका आशीर्वाद लेते है जहां हर अमावस्या वह पूर्वज मुक्ति के साथ साथ भक्तों के कर्मभोग काटकर, उनके साध्य तथा असाध्य रोगों की नकारात्मक स्मृतियों को जड़ से नष्ट करके लोगों को तमाम कष्टों व रोगों से मुक्त करते हैं ।

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