Kalashtami 2024: इस विधि से करें मासिक कालाष्टमी का व्रत की पूजा, जानिए मुहूर्त
- सावन महीने में यह व्रत 27 जुलाई के दिन रखा जा रहा है
- इस दिन भगवान काल भैरव की विशेष पूजा की जाती है
- भगवान भैरव अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करते हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का बड़ा महत्व है और यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रखा जाता है। सावन महीने में यह व्रत 27 जुलाई, शनिवार के दिन रखा जा रहा है। इस दिन भगवान शिव के सबसे उग्र रूप काल भैरव (Kaal Bhairav) की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करने पर भगवान भैरव अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करते हैं।
बात करें काल भैरव के स्वरूप की तो, उनका एक मात्र बटुक भैरव स्वरूप ही सौम्य है। जहां-जहां पर शक्तिपीठ हैं, वहां-वहां पर काल भैरव भी मौजूद हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव देवी की सुरक्षा में रहते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...
तिथि कब से कब तक
अष्टमी तिथि आरंभ: 27 जुलाई की रात 09 बजकर 19 मिनट से
अष्टमी तिथि समापन: 28 जुलाई की शाम 07 बजकर 27 मिनट पर
ऐसे करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें।
- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा का भी इस दिन विधान है।
- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें।
पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
- ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
- ॐ कालभैरवाय नम:।।
- ॐ भयहरणं च भैरव:।।
- ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
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