Jyeshtha Purnima 2024: कब है ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा, जानिए पूजा विधि और महत्व
इस दिन लक्ष्मीनारायण की पूजा की जाती है पितरों की विशेष पूजा इस दिन की जाती है कई जगह महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, वहीं ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) को खास माना गया है। इस माह में पूर्णिमा व्रत 21 जून, शुक्रवार को है। इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर पितरों की विशेष पूजा करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए।
वहीं इस दिन कई स्थानों पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए वट पूर्णिमा का व्रत रखती हैं। हालांकि उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। आइए जानते हैं इस तिथि का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि...
तिथि कब से कब तक
तिथि आरंभ: 21 जून 2024, शुक्रवार सुबह 06 बजकर 01 मिनट से
तिथि समापन: 22 जून 2024, शनिवार सुबह 05 बजकर 07 मिनट तक
महत्व
इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है। पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है, ऐसे में इस दिन चंद्र पूजा भी की जाती है। चंद्रदेव को जल में दूध, शक्कर, अक्षत और फूल मिलाकर अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से चंद्र दोष दूर हो जाते हैं।
पूजा की विधि
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद उगते सूर्य को जल दें और व्रत का संकल्प करें।
-पूजा के लिए पूर्व की ओर मुख कर बैठें।
- इसके बाद एक चौकी पर पीला कपड़ा दाहिनी ओर बिछा कर विष्णु जी को विराजित करें।
- साथ ही लाल कपड़ा बाएं ओर बिछा कर देवी लक्ष्मी को विराजित करें।
- इसके बाद लाल, सफेद और पीले पुष्प अर्पित करें।
- लक्ष्मीनाराण को मखाने की खीर,आटे की पंजीरी और मिष्ठान अर्पित करें।
- आरती के बाद लक्ष्मीनारायण व्रत की कथा सुनें अथवा सुनाएं।
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