Mangala Gauri Vrat: आज है सावन का आठवां मंगला गौरी व्रत, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-22 10:03 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सावन में आने वाला मंगला गौरी व्रत, जो माता गौरी को समर्पित होता है। प्रत्येक सावन सोमवार के बाद आता है और इस वर्ष अधिकमास होने के कारण सावन सोमवार की तरह की मंगला गौरी व्रत की संख्या भी बढ़ गई है। आज यानि कि 22 अगस्त, मंगलवार को आठवां मंगला गौरी व्रत है। विवाहित महिलाएं इस व्रत के जरिए जीवन साथी और संतान के सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं। वहीं अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करती हैं।

शास्त्रों के अनुसार यह व्रत दोनों के लिए ही सौभाग्यशाली है। भविष्यपुराण और नारदपुराण के अनुसार श्रावण मास में मंगलवार के व्रत रखने से सुखों में वृद्धि होती है। इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है। मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं। कितना खास है ये व्रत और क्या है पूजा विधि आइए जानते हैं...

व्रत विधि

- इस व्रत के लिए ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।

- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण करें।

- पूजा के दौरान मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।

इसके बाद "मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।

- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।

पूजा की विधि

मां की पूजा के दौरान सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए। इनमें 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ि‍यां और मिठाई चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए। पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुननी चाहिए।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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