द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: इस दिन व्रत करने से मिलेगा दो गुना फल, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
- इस बार यह चतुर्थी 28 फरवरी, बुधवार को पड़ रही है
- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी बुधवार का शुभ योग बना है
- बुधवार के शुभ योग के अलावा एक सर्वार्थ सिद्धि योग है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आने वाली चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह चतुर्थी 28 फरवरी, बुधवार को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, वैसे तो भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाने के कारण किसी भी शुभ कार्य के पहले पूजा जाता है। लेकिन, बप्पा की पूजा के लिए सप्ताह का तीसरा दिन बुधवार सबसे शुभ माना जाता है। वहीं इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी बुधवार को पड़ने से शुभ योग बना है।
ज्योतिषाचार्य की मानें तो, इस दिन दो शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। जिसमें बुधवार के शुभ योग के अलावा एक सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस योग की अवधि कुल 40 मिनट से अधिक होगी और यह सुबह के समय बनेगा। आइए जानते हैं इस व्रत और पूजा विधि के बारे में, साथ ही जानते हैं पूजा मुहूर्त...
तिथि कब से कब तक
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 28 फरवरी, बुधवार देर रात 01 बजकर 53 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 29 फरवरी, गुरुवार सुबह 04 बजकर 18 मिनट तक
कब रखा जाएगा व्रत: उदयातिथि 28 फरवरी होने के कारण व्रत बुधवार को रखा जाएगा।
पूजा का मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग: बुधवार सुबह 06 बजकर 48 मिनट से 07 बजकर 33 मिनट तक
अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त: बुधवार सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 09 बजकर 41 मिनट तक
व्रत विधि
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
पूजन विधि
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें, इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें, पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।