Chaitra Masik Shivratri: आने वाली है मासिक शिवरात्रि, जानें पूजा की विधि और मुहूर्त

  • इस बार यह तिथि 07 अप्रैल 2024, रविवार को है
  • मासिक शिवरात्रि पर बहुत से खास संयोग बन रहे हैं
  • सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग बन रहे हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-05 08:44 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीन के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Masik shivratri) का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन भक्त पूरे विधि विधान और श्रद्धा के साथ भगवान शिव और मां पार्वती का व्रत और पूजन करते हैं। इस बार यह तिथि 07 अप्रैल 2024, रविवार को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार की मासिक शिवरात्रि खास है, क्योंकि इस शिवरात्रि पर बहुत से खास संयोग बन रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि, सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, पूजा की विधि और मुहूर्त...

महत्व

मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। मान्यता है कि, इस व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को मानचाहे वर की प्राप्ति होती है, साथ ही विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे। इस दिन शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व होता है।

मुहूर्त

चतुर्दशी प्रारम्भ: 7 अप्रैल 2024, रविवार सुबह 6 बजकर 53 मिनट से

चतुर्दशी समाप्त: 8 अप्रैल 2024, तड़के 3 बजकर 21 मिनट तक

शिव चतुर्दशी व्रत विधि

- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।

- सूर्यदेव को जल दें और व्रत का संकल्प लें।

- इस दिन भगवान शिव की पूजा में सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें।

- शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से करें।

- अभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

- अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाएं।

- पूजा के दौरान गाय के घी का दीपक जलाएं।

- पूजा के अंत में शिव जी को भोग के रुप में गांजा, भांग, धतूरा तथा श्री फल (नारियल) समर्पित करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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