Bhanu Saptami 2024: सावन की भानु सप्तमी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जानिए इस दिन का महत्व

  • इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है
  • दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है
  • इस दिन सूर्य स्त्रोत का पाठ करना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-10 12:10 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष पर रविवार को पड़ने वाली सप्तमी को भानु सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। सावन माह में यह तिथि 11 अगस्त को पड़ रही है। भानु सप्तमी जैसा कि नाम से जान पड़ता है यह दिन सूर्य देव को समर्पित है। माना जाता है कि भानु सप्तमी के दिन जो लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं उन्हें धन, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।  

आपको बता दें कि, सूर्य भगवान को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है, ब्राह्मांड में सूर्य के चारों तरफ सभी ग्रह चक्कर काटते हैं। इस दिन सूर्य देव को खुश करने के लिए आदित्य हृदय और अन्य सूर्य स्त्रोत पढ़ना और सुनना शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस तिथि‍ को पूर्व दिशा की ओर मुख कर, सूर्योदय की लालिमा के समय स्नान करने से लाभ मिलता है।

तिथि कब से ​कब तक

सप्तमी तिथि आरंभ: 11 अगस्त की सुबह 05 बजकर 44 मिनट से

सप्तमी तिथि समापन: 12 अगस्त की सुबह 07 बजकर 55 मिनट तक

व्रत और पूजा विधि

यह दिन सूर्यनारायण के सातवें विग्रह का है, जो तेज रूप में पूरी सृष्टि में निवास करते हैं। अस्तु श्रीहरि भगवान विष्णु के नाम से जाने जाते हैं। इस दिन ‘विष्णवे नम:’ मंत्र से सूर्य की पूजा करनी चाहिए। ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर तथा उसमें लाल चंदन, अक्षत, लाल रंग के फूल आदि डालकर सूर्यनारायण को अर्ध्य देना चाहिए। इस दिन एक समय बिना नमक का भोजन सूर्यास्त से करना चाहिए। सूर्य देव को इस सप्तमी पर तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने के साथ बिजौरा नींबू समर्पित करना चाहिए।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ घृणि सूर्याय नम:

ॐ सूर्याय नम:”

ॐ नमस्ते रुद्ररूपाय रसानां पतये नम:. वरुणाय नमस्तेस्तु

भानु सप्तमी पूजा का महत्त्व

भानु सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा करने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं। इस दिन भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से शुद्ध मन और बुद्धि का विकास एवं मानसिक शांति मिलती हैं। इस दिन दान का भी महत्व होता है जिससे घर में लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन अच्छे स्वास्थ और लम्बी आयु, यश, एंव अकाल मृत्यु पर विजय पाने के लिए भगवान सूर्य देव का व्रत जरूर करें। प्रातः काल स्नान करके एक लोटे में शुद्ध जल ले उसमे थोड़ा गंगाजल, थोड़ा गाय का कच्चा दूध, कुछ साबुत चावल, फूल, थोड़ा शहद मिला कर सूर्य देव को अर्घ दें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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