Bhadrapad Masik Shivratri: भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने इस विधि से करें पूजा, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
- भाद्रपद मास में व्रत 01 सितंबर को पड़ रहा है
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है
- जीवन के सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भगवान शिव की पूजा के लिए सोमवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivaratri) के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शिवजी की विशेष पूजा की जाती है। भाद्रपद मास में व्रत 01 सितंबर, रविवार को पड़ रहा है।
ऐसा माना जाता है कि, मासिक शिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही आपके जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों का निवारण हो जाता है। आइए जानते हैं मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 01 सितंबर रविवार की तड़के 3 बजकर 40 मिनट से
तिथि समापन: 02 सितंबर सोमवार की सुबह 5 बजकर 21 मिनट तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: दिन में कभी भी पूजा की जा सकती है, वहीं रात में 11 बजकर 58 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक निशिता मुहूर्त है।
पूजा सामग्री
गंगा जल, शहद, दही, घी, पंच रस, बेलपत्र, धतुरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ का बालें, गाय का दूध, ईख का रस, चंदन, फूल, पंच फल, पंच मेवा, इत्र, गंध, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, कपूर, धून और दीपक। साथ ही माता पार्वती की पूजा के लिए चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर जैसी श्रृंगार की वस्तुएं पूजा की थाली में रखें।
पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि के दिन महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा की जाती है।
- शिव जी की पूजा में सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें।
- अभिषेक जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रस आदि से करें।
- अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाएं
- अंत में गांजा,भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित करें।
- मासिक शिवरात्रि पर पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन किया जाता है।
- शिव चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।
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