Ashadh Maas 2024: कल से शुरू होने वाला है आषाढ़ माह, जानिए इसका महत्व
- आषाढ़ महीने में ही देवशयनी एकादशी मनाई जाती है
- यह माह 23 जून 2024, रविवार से शुरू हो जा रहा है
- भगवान विष्णु जी की पूजा करने से शुभ फल मिलता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग का चौथा माह आषाढ़ शुरू होने जा रहा है, जो कि धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है माना जाता है। इस महीने में उड़ीसा के जगन्नाथ में रथयात्रा निकाली जाती है। साथ ही आषाढ़ महीने में ही देवशयनी एकादशी मनाई जाती है और इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है। इसे वर्षा ऋतु का माह भी कहा जाता है। यह माह अधिकांश जून और जुलाई के बीच में पड़ता है। वहीं इस वर्ष यह माह 23 जून 2024, रविवार से शुरू हो जा रहा है।
ऐसा माना जाता है कि, आषाढ़ में की गई पूजा-पाठ का विशेष फल मिलता है। इस महीने में भगवान विष्णु जी की पूजा करने से शुभ फल मिलता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं इस माह के बारे में...
देव शयन का महीना
आषाढ़ माह में ही देवी-देवताओं का निद्रा का समय होता है। इस महीने में देवशयनी एकादशी आती है, इस दिन से देवी-देवता चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं। इसे चातुर्मास भी कहा जाता है। इसके बाद चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवता शयन से जागते हैं, जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है।
विष्णु जी की आराधना
इस महीने में भगवान विष्णु की आराधना करना शुभ देता है। इस महीने में लोग अपने घरों में सत्यनारायण भगवान की कथा कराते हैं। कई लोग हरि कथा, भागवत कथा और अन्य प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, आषाढ़ में पूजा पाठ, अर्चना, हवन या जप तप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
करें मंगल की पूजा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस महीने में मंगल और सूर्य दोनों ग्रहों की पूजा करना चाहिए। इन दानों ग्रहों के मजबूत होने पर आप ऊर्जावान होते हैं। मंगल की पूजा करने से कुंडली में बैठा मंगल अशुभ प्रभाव की जगह शुभ प्रभाव देने लगता है।
दान का विशेष महत्व
इस माह को दान-पुण्य के लिए भी श्रेष्ठ बताया गया है। आषाढ़ मास में खड़ाऊं, छाता, नमक, तांबा, कांसा, आंवला, मिट्टी का पात्र, गेहूं, गुड़, चावल, तिल दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आषाढ़ अमावस्या को स्नान, दान-पुण्य, पितृ कर्म के लिए बहुत पुण्य फलदायी माना जाता है।