चौथा मंगला गौरी व्रत: इस विधि से करें माता पार्वती की पूजा, जानें व्रत कथा और महत्व

  • सावन माह के अधिकमास में पड़ रहा है व्रत
  • माता पार्वती की पूजा से मिलती है विशेष कृपा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-25 05:55 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव और मां पार्वती को समर्पित सावन के महीने का विशेष महत्व होता है। इस महीने में भगवान और माता को समर्पित व्रत रखकर उनका आशीर्वाद लेने के लिए पवित्र माना जाता है। 25 जुलाई 2023 को अधिक मास का दूसरा और सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत पड़ रहा है। यह सावन माह के अधिकमास में पड़ेगा, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

सावन के अधिक मास के शुभ संयोग पर रखा गया मंगला गौरी शुभ फलदायी माना जाता है। मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही रूप है, इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जिन जातक के कुंडली में मांगलिक दोष होता है, सावन में माता मंगला गौरी का व्रत और माता की विधि विधान से पूजा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पूजा विधि

इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नित्यक्रमादि से निवृत होकर स्नान करें।

साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें।

घर में पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।

एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर मां की प्रतिमा स्थापित करें।

मां का गंगाजल से अभिषेक करें, और मां का ध्यान करते हुए पूजा प्रारंभ करें।

मां को फूल, चंदन, कुमकुम, फल, भांग, अक्षत, दही और दूध को अर्पित करें।

साथ ही मां को सोलह श्रृंगार अर्पित करें, पूजा के समय व्रत कथा पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।

अब मां की आरती करें और पश्चात् भोग सामग्री अर्पित करें।

व्रत कथा और महत्व

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक सेठ रहता था, जो सर्वगुण सम्पन्न था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। यह बात उन्हें हमेशा कचोटती रहती थी कि उसके वंश को कौन आगे बढ़ाएगा। यह सोचकर धर्मपाल दम्पत्ति हमेशा चिंतित रहते थे। इसके बाद सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना की। जिससे माता पार्वती अति प्रसन्न हुई और उनके सामने प्रकट हुई। माता ने धर्मपाल दम्पत्ति को मनचाहा वर मांगने के लिए कहा। उस समय धर्मपाल दम्पत्ति ने संतान प्राप्ति की कामना की। इसके बाद माता पार्वती ने कहा - मैं तुम्हें प्रसन्न हो कर वरदान देती हुँ कि संतान प्राप्ति होगी, लेकिन संतान अल्पायु होगा ।कालांतर में धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया।

उस समय सेठ धर्मपाल ने ज्योतिषों को बुलाकर पुत्र का नामांकरण करवाया और पुत्र का नाम चिरायु रखा। इसके बाद समय बीतत गया और धर्मपाल दम्पत्ति को पुत्र की मृत्यु की चिंता सताने लगी। तब उस समय ज्योतिषों ने कहा -आप अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराएं जो मंगला गौरी व्रत करती हो। मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रताप से आपका पुत्र दीर्घायु होगा। सेठ धर्मपाल के पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से हुई। कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया। इस तरह जो भी महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती है, वे अखंड सौभाग्यवती रहती है और पुत्र प्राप्ति के लिए करती हैं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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