हत्या का प्रयास: दो आरोपियों को एक वर्ष की सजा, शख्स को तलवार से हमला कर गंभीर रूप से किया घायल
- एक वर्ष सश्रम कारावास तथा 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा
- न्यायालय की अवमानना मामले में 3 माह की सजा
डिजिटल डेस्क, वर्धा. अतिक्रमण को लेकर उभरे विवाद में बीच-बचाव करने गए व्यक्ति पर तलवार से हमला कर गंभीर रूप से घायल करने के प्रकरण में प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश संजय भारुका ने आरोपी धर्मराज उर्फ पप्पू वसंतराव ढोरे तथा वसंता वासुदेव ढोरे को एक वर्ष सश्रम कारावास तथा 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। मिली जानकारी के अनुसार आरोपी धर्मराज ढाेरे फरियादी सचिन अशोक पारधी के घर के पास रहता था। 20 जनवरी 2017 को सुबह साढ़े 7 बजे के दौरान सचिन पारधी के घर के सामने रहनेवाले शेख बब्बू व फरजाना बेगम बब्बू शेख के घर का शेड अतिक्रमण में आने से विकास अधिकारी ने पूछताछ की। जिससे विवाद शुरू हुआ।
इस विवाद में आरोपी धर्मराज उर्फ पप्पू वसंत झोरे तथा वसंता वासुदेव ने वहां पहुंचकर काम में बाधा निर्माण की तथा फरजाना के साथ गालीगलौज की। उस वक्त फरियादी सचिन पारधी बीच-बचाव करने गए तब दोनों आरोपी ने तलवार से उन पर हमला किया। पश्चात आस-पास के लोगों के जमा होने से आरोपी भाग गए। इसकी शिकायत आर्वी थाना में की गई। सहायक पुलिस निरीक्षक एस टी हिवाले ने जांच कर दोषारोपत्र न्यायालय में दाखिल किया। सरकार की ओर से अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता प्रसाद सोईतकर ने सफल युक्तिवाद किया। उन्हें पैरवी अधिकारी के तौर पर नायक पुलिस सिपाही प्रशांत कांबले ने साथ दिया। 9 लोगों की गवाही के पश्चात न्यायाधीश संजय भारुका ने आरोपी को उक्त सजा सुनाई।
न्यायालय की अवमानना मामले में 3 माह की सजा
उधर पुसद में भाई को खेती का हिस्सा देने और उसे कब्जे में देने के निर्देश के बाद भी अन्य दो भाई उसे खेती करने से रोककर बाधा निर्माण कर रहे थे। जिससे दीवानी न्यायालय ने आदेश की अवमानना करने के चलते 2 भाइयों को तीन माह की सजा सुनाई गई है। तहसील के सावरगांव बं. निवासी नारायण चव्हाण ने दीवानी न्यायालय में पुरखों की जमीन का हिस्सा पाने के लिए याचिका दायर की थी। उसे मंजूर करने के बाद जिलाधिकारी ने उस खेती के हिस्से गिराकर तीनों भाइयों को बांट दी थी। मगर नारायण को वह खेती कसने के लिए भाई विठ्ठल और रामचंद्र चव्हाण बाधा निर्माण कर रहे थे। इससे नारायण ने न्यायालय में दूसरी याचिका दायर की थी। मनाही का आदेश मिलनेके बाद भी नारायण के भाई विठ्ठल रामचंद्र अंकुश और नत्थीबाई चव्हाण काम रोक रहे थे। इससे न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की गई। इसमें जज गोविंद वरपे ने 31 जनवरी को विठ्ठल रामचंद्र और उनके परिवार के सदस्यों को तीन माह कैद की सजा सुनाई। यही नहीं उनकी स्थायी संपत्ति जब्त करने के निर्देश भी दिए।