Wardha News: वर्धा में है अनोखी शाला, जिसकी न छत, न सुविधा फिर भी 15 महीने पढ़ाया जाता है नैतिकता का पाठ

वर्धा में है अनोखी शाला, जिसकी न छत, न सुविधा फिर भी 15 महीने पढ़ाया जाता है नैतिकता का पाठ
  • दो बैच अपना कोर्स पूरा कर चुकी
  • नैतिकता का पढ़ाया जा रहा पाठ
  • 15 माह की अनोखी स्कूल चला रहे

Wardha News स्कूल स्कूल का नाम सामने आते ही बड़ी इमारत, सुविधा व यूनिफार्म में पहुंचते विद्यार्थी सामने आते हैं। लेकिन मूल रूप से मुंबई निवासी बिरेन भूटा 15 माह की ऐसी अनोखी स्कूल चला रहे हैं जहां कोई पाठ्यक्रम नहीं बल्कि नैतिकता का पाठ सिखाया जाता है। इतना ही नहीं इस स्कूल की न कोई छत है और न ही सुविधा। केवल शहर, गांव, प्रदेश में घूमकर नैतिक नेतृत्व का पाठ पढ़ाया जाता है। इस स्कूल की दो बैच अपना कोर्स पूरा कर चुकी है। वहीं तीसरी बैच के लिए नि:शुल्क प्रवेश प्रक्रिया आरंभ हो गई है। ऐसी जानकारी दिसोम उत्क्रांत शिक्षा पद्धति के प्रणेता और संयोजक बिरेन भूटा ने वर्धा के जाजुवाड़ी में आयोजित पत्र-परिषद में दी।

इस वर्ष नैतिक नेतृत्व विकास के अनोखे शिक्षा प्रयोग (दिसोम-झारखंड आदिवासी संस्कृति का शब्द जिसका भावार्थ है-जहां रुह बसती है) के संयोजक बिरने भूटा को बुलाया गया था। उस वक्त बिरेन भूटा ने अपने अनोखे स्कूल की जानकारी दी। बिरेन भूटा ने बताया कि आज समाज में झूठ, फरेब, नफरत फैली हुई है। समाज की इस मानसिकता को बदलने के लिए कहीं न कहीं से शुरुआत करने के लिए नेतृत्व निर्माण कार्यक्रम शुरू किया गया है। समाज में परिवर्तन होना जरूरी है। लेकिन यह परिवर्तन नैतिक नेतृत्व से नहीं होगा। जब तक हम खुद में बदलाव नहीं करेंगे, खुद में परिवर्तन नहीं लायेंगे तब तक दूसरों को बदल नहीं सकते हैं। समाज में परिवर्तन नहीं हो सकता है। इसी उद्देश्य से 2018 में उन्होंने अनोखा प्रयोग करने का निर्णय लिया। देशभर से ऐसे लोगों से संपर्क बनाया जो समाज, देश के लिए कुछ करना चाहते हंै। लेकिन उसके लिए पहले खुद बदलने की चाह रखते हैं, ऐसे लोगों उनसे जुड़ने लगे।

इसी के तहत 15 माह का फूल टाइम प्रोग्राम बनाया। पहली बैच वर्ष 2021 में शुरू हुई। जिसमें 21 लोग शामिल हुए। जहां पर स्वयं पर काम शुरू करने देशभर का सफर शुरू हुआ। सफलतापूर्वक पहला कोर्स समाप्त होने के बाद सितम्बर 2022 में दूसरी बैच शुरू हुई। जिसमें देशभर से 20 लोग शामिल हुए। अब तीसरी बैच के लिए एडमिशन प्रोसेस शुरू है। परंतु एडमिशन के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं लगता है। न ही कोई नियम है। दिसोम के सार्थियों में से कोई उत्तर का है,

कोई दक्षिण, कोई कठोर आंबेडकरवादी है तो कोई गांधीवादी, कोई वामपंथी, कोई दक्षिणपंथी भी है। परंतु परिवर्तन का जुनून, काम की कटिबद्धता वाले लोगों का ही चुनाव होता है। आज तक निकली दो बैचेस से सामाजिक एव राजनीतिक नेतृत्व का विकास हुआ है। यह पाठशाला सामान्य नागरिकों के चंदे पर चलने की जानकारी भी बिरेन ने दी। पत्र-परिषद में पुणे से श्री प्रकाश, दिल्ली से भावना लुथरा, भवन मेघवंशी तथा झारखंड से अमित तिरकी, डा सुहास जाजू, राजकुमार जाजू व जाजू परिवार के सदस्य मौजूद थे।

Created On :   24 Oct 2024 1:19 PM GMT

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