वर्धा: रानी लक्ष्मीबाई से बढ़कर हो गईं संघ की लक्ष्मीबाई केलकर, बदला छात्रावास का नाम

  • नवनिर्मित महिला छात्रावास (गर्ल्स होस्टल) का नाम रानी लक्ष्मीबाई था
  • अब संघ की स्वंयसेविका लक्ष्मीबाई केलकर के नाम पर रख दिया
  • छात्र-छात्राओं ने जताया विरोध

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-18 12:31 GMT

डिजिटल डेस्क, वर्धा. महात्मा गांधी अतंरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन ने नवनिर्मित महिला छात्रावास (गर्ल्स होस्टल) का नाम रानी लक्ष्मीबाई से बदलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्वंयसेविका लक्ष्मीबाई केलकर के नाम पर रख दिया है। लक्ष्मीबाई केलकर संघ के एक शाखा की संस्थापक हैं। हिंदी विवि प्रशासन द्वारा चुपचाप रानी लक्ष्मीबाई के नाम से रानी हटा कर केलकर जोड़ दिए जाने पर विवि की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस छात्रावास का निर्माण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा दी गई धनराशि से किया जा रहा था। हिंदी विश्वविद्यालय की 2017-18 और 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विवि को रानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स होस्टल का निर्माण करने के लिए राशि प्राप्त हुई थी।

इस संबंध में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने कहा कि यह देश के स्वतंत्रता सेनानियों के अपमान का मामला है। विवि प्रशासन द्वारा लगातार विश्वविद्यालय परिसर में बने भवन व छात्रावास के नाम में बदलाव किया जा रहा है। विवि प्रशासन ने गोरख पाण्डेय छात्रावास का नाम भी बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज छात्रावास कर दिया। जबकि यह उचित नहीं है, क्योंकि छात्रावास निर्माण के समय ही छात्रावास का नाम गोरख पाण्डेय रखा गया था। विद्यार्थियों का कहना है कि महात्मा गांधीजी के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है। विवि के भीतर किसी भी इमारत या सुविधा का नाम किसी आरएसएस या हिंदू महासभा नेता के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि विवि परिसर के सौंदर्यीकरण पर विश्वविद्यालय की एक समिति ने सिफारिश की है कि विवि परिसर में विवेकानंद की 108 फुट की प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। इसके अलावा विवि परिसर में अस्पताल का नाम बलिराम हेड़गेवार के नाम पर रखा जाए। इस मामले से अब हिंदी विवि एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

पहले ही दिया गया था केलकर का नाम

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महिला छात्रावास के भूमिपूजन के समय से लक्ष्मीबाई केलकर का नाम दिया गया था। भूमिपूजन के समय पत्थर में लक्ष्मीबाई केलकर का नाम दर्ज है। अब नया विवाद खड़ा किया जा रहा है।

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