वर्धा: पंछी राजहंस के झुंड से गुलजार हुआ तालाब

  • आए मेहमान
  • मेहमाननवाजी का लुत्फ

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-07 12:54 GMT

डिजिटल डेस्क, वर्धा. ठंड के मौसम में दूर देश से विभिन्न पंछी स्थलांतर कर भारत में दाखिल होते हंै। वर्धा के तालाब परिसर में प्रतिवर्ष विभिन्न पंछी अपनी मौजूदगी दर्शाते हैं। दिसंबर के शुरू होते ही मेहमान पंछियों की आवाजाही शुरू हो गई। इनमें से एक महत्वपूर्ण राजहंस का वर्धा में आगमन हुआ है। बहार नेचर फाउंडेशन के किशोर वानखेड़े व राजदीप राठोड़ ने वर्धा समीप तालाब पर 30 की संख्या में राजहंस के झुंड का पंजीयन किया है।

सामान्य तौर पर नवम्बर से फरवरी तक पंछियों के स्थलांतर का समय रहता है। इस समय भारत के अनेक जगह पर दूर देश से पंछी स्थलांतर कर दाखिल होते हैं। राजहंस यह पंछी लद्दाख व तिबेट में निवास करता है। यहां अप्रैल से जून के दौरान घौंसले बनाकर रहता है। अक्टूबर से फरवरी के दौरान वहां काफी ठंड रहती है। तापमान माईनस 20 डिग्री तक पहुंचता है। ऐसी कड़ाके की ठंड में उन्हें भोजन मिलना मुश्किल होता है। जिससे यह पंछी दूर तक सफर कर उचित वातावरण में कुछ समय के लिए रहते हंै। कुछ माह बिताने के बाद वातावरण में बदलाव होते ही फिर अपने मूल निवास में वापस लौटते हैं। राजहंस की तरह अनेक पंछी ठंड में वर्धा के विभिन्न तालाबों पर नजर आते हंै। जिसमें रोहित याने फ्लेमिंगो यह आकर्षक पंछी भी वर्धा में मेहमाननवाजी करने पहुंचता है। उसका कई बार पंजीयन बहार नेचर फाउंडेशन के पंछी निरीक्षकों ने किया है। जिससे मेहमान नवाजी के लिए आनेवाले पंछियों को किसी तरह से परेशान न करते हुए पंछी निरीक्षण का आनंद लेने का आह्वान बहार नेचर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा बाबाजी घेवड़े, सचिव जयंत सबाने, उपाध्यक्ष दीपक गुढेकर,

संजय इंगले तिगांवकर, संस्थापक सचिव दिलीप वीरखड़े, सहसचिव स्नेहल कुबड़े, कार्यकारिणी सदस्य दर्शन दुधाने, डा आरती प्रांजले, राहुल वकारे, अविनाश भोले, पराग दांडगे, पवन दरणे, घनश्याम माहुरे, अतुल शर्मा ने किया हैं।

उठाते हैं मेहमाननवाजी का लुत्फ

बता दे कि, विभिन्न प्रजाति के पंछी जेसै अडई, बत्तख, तलवार बत्तख, शेंडी बतख, कलहंस, छोटी लालसरी, बड़ी लालसरी, चक्रवाक, रोहित, राजहंस यह प्रतिवर्ष नवम्बर से फरवरी के दौरान दूर देशों से सफर कर वर्धा में पहुंचते हैं। जहां कुछ माह रहकर मेहमाननवाजी का लुप्त भी उठाते हैं। पंछी निरीक्षकों के लिए यह पर्व किसी त्यौहार से कम नहीं होता है।

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