वर्धा: फेलोशिप देने की मांग को लेकर पीएचडी के विद्यार्थियों ने किया आंदोलन
- फेलोशिप देने की मांग
- अब आंदोलन पर उतरे पीएचडी के विद्यार्थियों
डिजिटल डेस्क, वर्धा. महाज्योति व सारथी इन दोनों संस्थानों को केवल 50 संशोधक विद्यार्थियों को फेलोशिप देने के बारे में महाराष्ट्र शासन मुख्य सचिव के अध्यक्षता के सचिवों के उच्च समिति ने निर्णय लिया है। इस निर्णय के विरोध में पीएचडी संशोधक विद्यार्थियों ने आंदोलन किया। यह निर्णय ओबीसी व मराठा समाज के विद्यार्थियों के जनसंख्या के तुलना में अत्यंत कम है। मुख्य सचिव के अध्यक्षता में किस आधार पर यह निर्णय लिया है, ऐसा प्रश्न उपस्थित हो रहा है। यह निर्णय जल्दबाजी व किसी भी प्रकार का अभ्यास नहीं करते हुए लिया गया है। इस निर्णय के कारण हजारो संशोधक विद्यार्थियों के भविष्य को अंधकार में डालने वाला है और संशोधक विद्यार्थियों का करियर बर्बाद करने वाला है।
गत वर्ष महाज्योति ने 1 हजार 200 व सारथी संस्था ने 800 विद्यार्थियों को फेलोशिप दी थी। अब केवल 50 विद्यार्थियों को फेलोशिप देने का निर्णय लिया गया है। यह संख्या अत्यंत कम हैं। इस निर्णय के विरोध में पुणे के सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ में आंदोलन किया गया था। ओबीसी, वीजेएन्टी व एसबीसी, मराठा कुणबी की महाराष्ट्र की जनसंख्या को विचार में लेकर कम से कम 800 विद्यार्थियों को पीएचडी संशोधक छात्रवृत्ति महाज्योति व सारथी ने देने की आवश्यकता है, ऐसा राष्ट्रवादी के प्रदेश उपाध्यक्ष व महाज्योति के पूर्व संचालक प्रा. दिवाकर गमे ने कहा।
इस संदर्भ का पत्र भी महाज्योति व सारथी के व्यवस्थापकों को भेजा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि महाज्योति व सारथी इन संस्थानो ने संशोधक फेलोशिप की संख्या 50 से बढ़ाकर 800 करे, महाज्योति व सारथी ने संशोधक फेलोशिप के लिए संशोधक विद्यार्थियों का चयन करने के लिए परीक्षा नहीं लेते हुए सीधे साक्षात्कार लेने की मांग की गयी है। महाज्योति व सारथी यह संस्था ओबीसी व मराठा समाज के विद्यार्थियों के हित के लिए स्थापित की गयी है। परंतु वे विद्यार्थयों का नुकसान होगा, ऐसा निर्णय ले रही है। ओबीसी व मराठा समाज के पीएचडी संशोधक विद्यार्थियों की संख्या कम करना यही उनकी साजिश होने का इस समय महाज्योति के पूर्व संचालक प्रा. दिवाकर गमे ने बताया।