वर्धा: भारत से दुनिया में रामायण की गूंज- कुलपति डॉ. मेत्री
- दुनिया में रामायण का दर्शन पहुंच रहा
- भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर
डिजिटल डेस्क, वर्धा. भारत से पूरी दुनिया में रामायण का दर्शन पहुंच रहा है। भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है। ऐसे विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राम के व्यक्तित्व और कृतित्व को जानने तथा समझने का काम रामायण उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है। विवि में रामायण उत्सव के आयोजन से अध्यापक और विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। वे रामायण उत्सव की प्रमुख गतिविधियों के अंतर्गत राम काव्य की परंपरा एवं उसका प्रदेय विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संपूर्णानंद संस्कृ्त विवि, वाराणसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र, विशेष वक्ता के रूप में पूर्व प्राचार्य, वरिष्ठ ललित निबंधकार प्रो. श्रीराम परिहार, साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अखिलेश दुबे, साहित्य विभाग के अध्यक्ष तथा संगोष्ठी संयोजक प्रो. अवधेश कुमार मंचासीन थे। कार्यक्रम में भारतीय हिंदी परिषद के सभापति, लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रो. पवन अग्रवाल ने बतौर मुख्य वक्ता ऑनलाइन संबोधित किया। वर्धा विवि के गालिब सभागार में दो दिवसीय (28 एवं 29 नवंबर) को रामायण उत्सव के अंतर्गत राम काव्य की परंपरा एवं उसका प्रदेय विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठीं का समापन किया गया।
इस अवसर पर पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व का मानचित्र रामायण संस्कृति के अंतर्गत है। सम्राट अशोक और सम्राट विक्रमादित्य आदि ने भारतीय मूल्य, परंपरा को विश्व में पहुंचाया। प्रो. श्रीराम परिहार ने कहा कि भारतीय मानस का मूल चरित्र शांति प्रिय और लोकमंगल का है। राम के चरित्र में हमारा लोक मानस रम गया है। प्रो. पवन अग्रवाल ने विभिन्न रामायण परंपराओं की चर्चा करते हुए कहा कि रामायण ने मानवतावादी विचारधारा का प्रसार कर संस्कृरति से जोड़ने का काम किया है।
समापन कार्यक्रम में प्रश्नोत्तारी प्रतियोगिता के पुरस्कार कुलपति तथा मुख्य अतिथियों की ओर से प्रदान किए गए। प्रथम पुरस्कार विद्यार्थी सुहेल अली, द्वितीय पुरस्कार यशवर्धन और तृतीय पुरस्कार शिवेश तिवारी को दिया गया। सत्र का साहित्य विद्यापीठ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी ने संचालन किया तथा संगोष्ठी के संयोजक प्रो. अवधेश कुमार ने आभार माना। इस अवसर पर अतिथि, विश्वविद्यालय के अध्यापक, अधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्यक्ष तथा आभासी माध्याम से बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।