वर्धा: 13 किसानों की जान जाने के बावजूद भी नहीं हुआ पुनर्वास, वनविभाग के कड़े हैं नियम
- गरमसुर गांव के ग्रामीणों में वर्षों से दहशत
- बाघों के हमले में अब तक करीब 13 किसानों की जान गई
- नहीं हुआ पुनर्वास, परेशान हैं पीड़ित
डिजिटल डेस्क, वर्धा. बोर व्याघ्र प्रकल्प से घिरे गरमसुर गांव के ग्रामीण वर्षों से दहशत में जी रहे हैं। परिसर में 12 बाघ होने का पंजीयन है। बाघों के हमले में अब तक करीब 13 किसानों की जान जाने के बावजूद गांव का पुनर्वास नहीं हुआ। वनविभाग के कड़े नियम के कारण 70 फीसदी जमीन बंजर पड़ी है। गत सप्ताह शंकर वरठी पर बाघ ने हमला किया। किसी तरह भागने से उनकी जान बच गई। सेवानिवृत्त वन मजदूर रामजी नागोसे भी बाघ के हमले में घायल हुए। दहशत भरे वातावरण से बाहर निकलने के लिए ग्रामीण नियमित पुनर्वसन की मांग कर रहे हैं। उस पर गौर पर विधायक डाॅ. पंकज भाेयर ने शासन दरबार में समस्या रखी। नवरगांव की तरह गरमसूर गांव का भी पुनर्वसन करने की सिफारिश की।
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने 5 दिसंबर 2018 को हुए राज्य वन्यजीव मंडल की बैठक में बोर प्रकल्प के कोर जोन के गरमसुर गांव के पुनर्वसन तथा स्थलांतरित करने का अध्यादेश तथा अधिसूचना निकालने के निर्देश दिए गए थे। वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भी ध्यान देकर सूचना दी थी। वैसा आदेश वनविभाग के प्रधान सचिव को दिया गया। परंतु अब तक पुनर्वास नहीं हुआ।
पुनर्वास के लिए करेंगे प्रयास : भोयर
विधायक डॉ. पंकज भोयर ने कहा कि बोर व्याघ्र प्रकल्प के कोेर जोन के गरमसुर गांव के पुनर्वसन करने के लिए शासन दरबार में प्रयास किए जाएंगे। गरमसुर के नागरिकों ने मंगलवार को विधायक भोयर से मुलाकात कर अपनी समस्या रखी। गांव के सरपंच अर्चना राऊत, उपसरपंच सुरेश शेंडे, वामनराव कौरती, आनंदराव कौरती, सुनील सलाम, देवीदास धांदड़े, जयश्री भारसकड़े, नंदा वरठी, वच्छला उईके, शोभा करनाके, शोभा सलाम, प्रणीता वरठी, सुनंदा राउत, छाया वरठी, मनोरमा डोंगरे, सोमराज सलाम, मिथुन सहारे, रामचंद्र मसराम ने विधायक भोयर के समक्ष समस्या रखी। उस वक्त भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गफाट, सेलू पंस के पूर्व सभापति अशोक मुडे, पूर्व जिप सदस्य सुनीता ढवले, पवनार के पूर्व सरपंच अजय गांडाले, पिपरी के पूर्व सरपंच अजय गौलकर, उमरी के उपसरपंच सचिन खोसे, वर्धा विधानसभा प्रमुख प्रशांत बुरले, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष गिरीष कांबले उपस्थित थे। विधायक भोयर ने तुरंत वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से संपर्क कर ग्रामीणों का संदेश पहुंचाया। वनमंत्री मुनगंटीवार ने वनविभाग के सचिव को पुनर्वसन संदर्भ में आदेश देने का आश्वासन दिया।
किसान ने लगा ली फांसी
उधर कर्ज के बोझ से परेशान किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना कारंजा पुलिस थाना अंतर्गत 30 जनवरी को सामने आयी। मृतक का नाम साहबराव लक्ष्मणराव चरड़े के तौर पर की गई है। मिली जानकारी के अनुसार 30 जनवरी को फरियादी जनार्दन साहबराव चरड़े अपनी मां व पत्नी के साथ खेत में गए थे। इस दौरान उनके पिता साहबराव अकेले ही घर में मौजूद थे। इस वर्ष उत्पादन नहीं होने से वे काफी चिंतित थे। ऐसे में बढ़ते कर्ज के कारण परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया था। इससे चिंतित साहबराव ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजन घर लौटे तब उन्हें यह बात ध्यान में आयी। घटना की जानकारी कारंजा घाडगे पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा किया। इस प्रकरण में आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया गया है। आगे की जांच कारंजा घाडगे पुलिस कर रही है।