वर्धा: नए शैक्षणिक सत्र के पहले ही दिन 82 हजार विद्यार्थियों को मिलेंगी फ्री किताबें
- जिले की आठों तहसील से केंद्र वार किताबों का वितरण शुरू
- प्रतिवर्ष गड़बड़ाता रहा है नियोजन
डिजिटल डेस्क, वर्धा. सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत विद्यार्थियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग द्वारा विभिन्न उपक्रम चलाए जाते हैं। इसके तहत कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क किताबें वितरित करने की भी योजना है। इस योजना अंतर्गत नए सत्र के पहले ही दिन जिले के 82 हजार 247 विद्यार्थियों को किताबें वितरित करने का नियोजन जिप प्राथमिक शिक्षा विभाग ने किया है। इसके तहत जिले में बालभारती की ओर से 82 हजार 247 किताबों का सेट उपलब्ध हुआ है। आठों तहसील से केंद्र वार पुस्तकों का वितरण शुरू किया गया है।
बता दें कि, प्रतिवर्ष प्राथमिक विभाग में पढ़नेवाले कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तकों का वितरण किया जाता है। इस वर्ष भी जिले के प्राथमिक शिक्षा विभाग द्वारा किताबों की मांग ऑनलाइन ई-पोर्टल पर दर्ज की गई थी। इसके तहत नए सत्र के पहले ही दिन विद्यार्थियों को किताबें वितरित करने का नियोजन किया जा रहा है। प्रति लाभार्थी एक सेट के तहत मांग दर्ज की गई थी। इसके तहत जिले में बालभारती ने किताबें उपलब्ध करवाई हैं। जिले में हाल ही में किताबें पहुंचने के बाद उसका तहसीलस्तर पर वितरण किया गया है। जिसमें प्राथमिक विभाग में पढ़नेवाले 82 हजार 247 विद्यार्थियों के लिए 82 हजार 247 सेट की उपलब्ध हुए हैं। वर्धा तहसील में 18 हजार 439, देवली 10 हजार 469, सेलू 9321, हिंगणघाट 15 हजार 590, समुद्रपुर 7 हजार 366, आर्वी 9 हजार 554, आष्टी शहीद 5 हजार 594 तथा कारंजा तहसील में 5 हजार 914 किताब सेट वितरित किए गए हैं।
जिले में पहुंची किताबें
डा. नीतु गावंडे, प्राथमिक शिक्षाधिकारी, जिप के मुताबिक नए सत्र के पहले दिन विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध करने के लिए बालभारती ई-पोर्टल पर मांग दर्ज की गई थी। मांग के तहत जिले में 82 हजार 247 किताबों का सेट उपलब्ध हुआ है। जिसका तहसील स्तर पर वितरण किया गया है। अब केंद्र वार वितरण शुरू है।
प्रतिवर्ष गड़बड़ाता रहा है नियोजन
बता दें कि, प्राथमिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिवर्ष सत्र के पहले ही दिन विद्यार्थियों को किताबें वितरित करने का नियोजन किया जाता है। परंतु हर बार किसी न किसी कारण शिक्षा विभाग का यह नियोजन गड़बड़ा जाता है। कभी किताबें देर से पहुंचती है तो कभी कम किताबें आने से विद्यार्थियों को कई बार आधे सत्र तक किताबें ही उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसके कारण विद्यार्थियों को शिक्षण ग्रहण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।