महिला दिवस: घर-परिवार के साथ महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल रहीं 19 महिला अधिकारी
- जिले में उपजिलाधिकारी से लेकर भू-वैज्ञानिक पद पर हैं महिलाएं
- घर-परिवार के साथ संभाल रहीं खास पद
डिजिटल डेस्क, वर्धा. महिलाएं आज भले ही चांद पर पहुंच गई हों लेकिन उनके सामने आनेवाली समस्याएं भी कम नहीं हैं। घर-परिवार को संभालते हुए जिले के महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान होकर अपना दायित्व बिना किसी शिकायत बखूबी से निभाने का काम एकमात्र महिलाएं ही कर सकती है। पुरुषों के बीच काम करते समय खुद का अस्तित्व बरकरार रखना भी चुनौती से कम नहीं है। बावजूद इसके वर्धा जिले में 19 महिलाएं अधिकारी क्लास वन पोस्ट पर कार्यरत होकर बखूबी से अपना दायित्व निभा रही हैं। इनमें उपजिलाधिकारी से लेकर भू-वैज्ञानिक महिला अधिकारी हैं, जो 35 पुरुष अधिकारियों के बीच अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं। वर्धा जिले में क्लास वन पोस्ट के कुल 54 अधिकारी हैं। जिनमें 35 पुरुष तथा 19 महिला अधिकारी हैं। महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान महिला अधिकारी खुद को हर तरह से साबित कर रही हैं। 19 महिला अधिकारियों में रोगायो उपजिलाधिकारी प्रियंका पवार, जिला सूचना अधिकारी श्वेता पोटुडे, तहसीलदार शुभांगी कनवाड़े, तहसीलदार संजय गांधी निराधार योजना बबीता आलंदे, हिंगणघाट उपविभागीय अधिकारी शिल्पा सोनाले, उपजिलाधिकारी कल्पना गोड़े, आष्टी के तहसीलदार हंसा मोहने, कारंजा की तहसीलदार ऐश्वर्या गिरी पंचायत के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञानदा फणसे, आर्वी के खंडविकास अधिकारी सुनीता मरस्कोले, कृषि तकनीक व्यवस्थापना विभाग आत्मा की डाॅ. नलिनी भोयर, उपविभागीय कृषि अधिकारी सारीका ढुके, आर्वी के उपविभागीय कृषि अधिकारी सुप्रिया वायवल, सेलू के मुख्याधिकारी पुनम कलंबे, जिला रोजगार व स्वरोजगार के सहायक संचालक नीता अवघड़, भूजल सर्वेक्षण व विकास विभाग की वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डाॅ. वर्षा माने, जिला ग्राम उद्योग के अमिता देशमुख, उपविभागीय जलसंधारण अधिकारी श्रद्धा हटवार, जिला मलेरिया अधिकारी जे. जी. थोटे शामिल हैं।
दोहरी जिम्मेदारी निभाते हुए करनी पड़ती है कड़ी मशक्कत
प्रियंका पवार (कर्डिले), उपजिलाधिकारी, रोगायो के मुताबिक वर्तमान स्थिति में पुरुषों की तरह महिला अधिकारियों को भी सम्मान मिल रहा है। बदलते समाज ने महिलाओं का अस्वित्व स्वीकारना शुरू किया है। परंतु नौकरीपेशा महिलाओं के साथ-साथ आय के लिए जो महिलाएं घर से बाहर निकली हैं, इन सभी को दोगुने तनाव के बीच कसरत करनी पड़ती है। प्रतिदिन होनेवाले छोटे-बड़े तनाव के साथ टाइम मैनेजमेंट बड़ी चुनौती होती है। महिलाएं उसमें अब माहिर होती जा रही है। तनाव के कारण ऐसी स्थिति में महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी असर होता है। परंतु इन सब कामों के बीच थोड़ा समय खुद के लिए निकालना भी जरूरी है। हर एक महिलाओं को खुद के लिए समय निकालकर योगा, अपने पसंदीदा काम करने चाहिए।