शहडोल: युवाओं के उद्योग लगाने का सपना चकनाचूर
- मंजूरी के 6 साल बाद भी वीरान पड़ा दियापी पर औद्योगिक क्षेत्र
- औद्योगिक क्षेत्र तक मुख्य मार्ग से पहुंचने के लिए सडक़ निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है।
- अधिकारी जल्द टेंडर लगाने की बात कह रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया बहुत धीमी है।
डिजिटल डेस्क,शहडोल। संभाग मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर दियापीपर में युवाओं के उद्योग लगाने के सपनों को पंख देने के लिए 2017 में प्रारंभ की गई दियापीपर औद्योगिक क्षेत्र में 6 साल बाद भी वीरानी छाई है। यहां न तो सडक़ का निर्माण हुआ न ही अन्य जरूरी संसाधनों को पूरा करने के प्रयास हुए। औद्योगिक क्षेत्र में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने में मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेपलपमेंट कार्पोरेशन (एम पी आई डी सी) की लापरवाही से युवा परेशान हैं। उनके उद्योग लगाने का सपना चकनाचूर हो रहा है।
एमपीआईडीसी की लापरवाही का बड़ा उदाहरण
- 35 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन उद्योग लगाने के लिए दियापीपर में चिन्हित कि गई है। 2017 में जमीन चिन्हित होने के बाद फौरन ही सडक़, बिजली व पानी की व्यवस्था के प्रयास होने थे। ऐेसा 6 साल में नहीं हुआ।
- अभी भी दियापीपर में औद्योगिक क्षेत्र तक मुख्य मार्ग से पहुंचने के लिए सडक़ निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। अधिकारी जल्द टेंडर लगाने की बात कह रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया बहुत धीमी है।
एमपीआईडीसी रीवा के अधिकारी ने प्रदेश सरकार को धोखे में रखा
एमपीआईडीसी द्वारा शहडोल में कार्यालय संचालन के मामले में भी लगातार प्रदेश सरकार को धोखे में रखा गया। पांच साल में कार्यालय ही नहीं खोला गया। एमपीआईडीसी रीवा के अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को फरवरी 2024 में शहडोल में कार्यालय खुलना बताया तो अभी भी अनुबंध में एक अधिकारी के साथ एक भृत्य के भरोसे कार्यालय संचालन की औपचारिकता निभाई जा रही है। स्थानीय युवाओं ने बताया कि इस संबंध में एमपीआईडीसी रीवा के अधिकारी यूके तिवारी हर काम जल्द से जल्द पूरा होने की बात तो कहते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
युवाओं का सवाल, कब होगी जमीन आबंटन की प्रक्रिया
आदिवासी अंचल के युवाओं का एक ही सवाल है कि दियापीपर औद्योगिक क्षेत्र में 2017 में जमीन चिन्हित की गई तो अब तक जमीन आबंटन की प्रक्रिया क्यों प्रारंभ नहीं हुई। जानकार बताते हैं कि सडक़ बनाने के लिए टेंडर अगस्त माह में निकल भी गया तो अन्य प्रक्रिया पूरी करने में कम से कम 6 माह लग जाएंगे। इसके बाद ही आवेदकों के लिए जमीन आबंटन की प्रक्रिया वेबसाइड में दिखेगी।