मध्यप्रदेश: पुराने फैसले पर अमल की तब याद आई जब पटवारी की चली गई जान, रेत के मामलों में कार्यवाही के लिए, जिला प्रशासन ने बनाया संयुक्त दल
डिजिटल डेस्क, शहडोल। रेत माफिया द्वारा पटवारी को ट्रैक्टर से कुचल कर मार दिए जाने के करीब 40 घंटे बाद प्रशासन को अपने पुराने फैसले की याद आई और रेत के मामलों में कार्यवाही के लिए संयुक्त दल गठित किया गया। सोमवार दोपहर कलेक्टर वंदना वैद्य ने इस फैसले की जानकारी मीडिया से साझा करते हुए बताया कि, जिले भर में रेत मामलों से जुड़ी शिकायत पर त्वरित कार्रवाई के लिए टीम का गठन किया गया है। इसमें एसडीएम, खनिज अधिकारी, तहसीलदार, खनिज निरीक्षक व सर्वेयर को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि टीम के सदस्य संयुक्त रूप से ऐसे मामलों पर कार्रवाई करेंगे। उधर समीपी सीधी जिले में भी संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की मैराथन बैठक चली, जिसमें अन्य महकमों का सहयोग न मिल पाने तथा वहां के कर्मचारियों-अधिकारियों से भी रेत माफियाओं द्वारा मारपीट किए जाने का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। सूत्रों के अनुसार आज-कल में तीनों जिलों का प्रशासन तथा संजय टाइगर पार्क प्रबंधन किसी बड़े सामूहिक फैसले पर पहुंच सकता है।
6 गांवों के संदिग्धों से हुई पूछताछ
देवलोंद पुलिस ने सोमवार को मैहर के ग्राम कुंआ तथा कुबरी और शहडोल के सुखाड़, बुड़वा, सथनी व जनकपुर के रेत चोरी से जुड़े संदिग्धों को पूछताछ के लिए थाने बुला कर दिनभर पूछताछ की। एडीजीपी डीसी सागर ने बताया कि संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। सबूत मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि इन्हीं सीमावर्ती 6 गांवों के रेत माफिया का नेट वर्क फैला हुआ है। यहीं पर जिलावर्ती सीमा का फायदा उठा रेत माफिया सक्रिय रहते हैं।
तहसीलदार ने अपनी सरकारी गाड़ी से भेजा था
मामले से जुड़ा एक तथ्य यह भी सामने आया है कि घटना वाली रात प्रसन्न सिंह सहित चारों पटवारियों को ब्यौहारी के प्रभारी तहसीलदार दिलीप शर्मा ने अपनी सरकारी गाड़ी में सोन नदी के गोपालपुर घाट भेजा था। क्यों..? इस सवाल पर एसडीएम नरेंद्र सिंह धुर्वे तथा तहसीलदार दिलीप शर्मा चुप्पी साध लेते हैं। इनके बचाव में आगे आईं कलेक्टर वंदना वैद्य चारों पटवारियों को निरीक्षण के लिए तहसीलदार द्वारा भेजे जाने की बात कहती हैं। हालाकि प्रशासन के पास इस बात का भी जवाब नहीं है कि ब्यौहारी में सोन, बनास व झापर नदी में रेत के अवैध खनन से जुड़ी 11 माह में मिली 8 से ज्यादा शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही क्यों नहीं हुई?