Shahdol News: दस साल में नहीं बढ़ी ब्रांच, 2021 में भेजा गया था प्रस्ताव, तीन साल बाद भी मंजूरी का इंतजार

  • ब्रांच विस्तार के लिए वरिष्ठ नागरिक पेंशनर्स एसोसिएशन द्वारा भी कुलपति को पत्र लिखकर मांग की गई है
  • विश्वविद्यालय द्वारा चार बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी
  • इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही का दूसरा मामला डीजी सेट में सामने आया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-18 11:36 GMT

Shahdol News: आदिवासी बहुल शहडोल संभाग मुख्यालय में संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज (यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी) यूआईटी शहडोल में दस साल बाद भी ब्रांच का विस्तार नहीं हुआ। वर्तमान में यूआईटी शहडोल में दो ही ब्रांच हैं, इनमें मैकेनिकल और माइनिंग ब्रांच शामिल हैं। यहां कम्प्यूटर साइंस और सिविल ब्रांच विस्तार के लिए 2021 में प्रस्ताव तैयार कर राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर विश्वविद्यालय द्वारा चार बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी भेजने के बाद भी तीन साल से ब्रांच विस्तार के लिए मंजूरी का इंतजार है।

ब्रांच विस्तार नहीं होने से ये नुकसान- बालिकाएं कम्प्यूटर साइंस, सिविल व इलेक्ट्रानिक्स की पढ़ाई करने इच्छुक रहती हैं। ये ब्रांच यहां नहीं होने से बालिकाओं को पढ़ाई करने के लिए दूसरे शहर की दौड़ लगानी पड़ती है। ऐसे में अभिभावकों को हर माह 10 से 15 हजार रूपए का अतिरिक्त खर्च पड़ता है। कई जरूरतमंद अभिभावकों के लिए यह बड़ी रकम होती है और ऐसे में बालिकाओं की पढ़ाई का सपना टूट जाता है। ब्रांच विस्तार के लिए वरिष्ठ नागरिक पेंशनर्स एसोसिएशन द्वारा भी कुलपति को पत्र लिखकर मांग की गई है।

कैसे सुधरेगा छात्रों का भविष्य : प्रयोगशाला में चार साल से धूल खा रही मशीनें- इंजीनियरिंग कॉलेज शहडोल में अव्यवस्था का आलम यह है कि छात्रों के प्रयोग के लिए आई मशीनें चार साल से धूल खा रही हैं। छात्रों द्वारा लगातार मांग किए जाने के बाद भी प्रयोग के लिए उपयोगी मशीनों को छात्रों को उपलब्ध नहीं करवाया गया। इसके साथ ही छात्रों को खेल प्रोत्साहन की राशि का भी वितरण नहीं किया। कई छात्र को खेलने के लिए अगल-अलग विश्वविद्यालय गए थे, ऐसे छात्रों को 15 हजार रूपए मिलना है। दूसरे कॉलेजों में राशि मिल गई है, लेकिन शहडोल यूआईटी के छात्रों को एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी राशि नहीं दी गई।

इंस्टाल नहीं हुआ डीजी सेट- इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही का दूसरा मामला डीजी सेट में सामने आया। बिजली आपूर्ति बाधित होने के बाद छात्रों की पढ़ाई पर असर नहीं पढ़े, इसके लिए चार सेट डीजी सेट यहां चार साल पहले भेजा गया। जानकर ताज्जुब होगा कि इंजीनियरिंग कॉलेज प्रबंधन ने चार साल में डीजी सेट इंस्टाल नहीं करवाया। परीक्षा के दौरान बिजली चली जाए तो बच्चों गर्मी में ही बैठना पड़ता है।

मंत्री से करेंगे बात : विधायक

जयसिंहनगर भाजपा विधायक मनीषा सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज में ब्रांच विस्तार से लेकर छात्रों के लिए दूसरी सभी सुविधाओं को लेकर तकनीकी शिक्षा मंत्री से बात करेंगे। भोपाल प्रवास के दौरान विभाग के अधिकारियों से मिलकर बात रखेंगे कि आखिर इतने समय से अव्यवस्था के बाद भी समय रहते सुधार में कहां लापरवाही बरती गई।

- ब्रांच विस्तार के लिए हमारे द्वारा भेजे गए प्रपोजल पर विश्वविद्यालय से मंजूरी का इंतजार है। मंजूरी मिलते ही ब्रांच चालू कर दी जाएगी। प्रयोगशाला सामग्री चार साल से इसलिए धूल खा रही है क्योंकि बिजली कनेक्शन व अन्य इंतजाम नहीं हो पाए थे। जल्द इन्हें छात्रों के लिए प्रयोगशाला में रखवा दिया जाएगा। डीजी सेट इंस्टाल करवाने के लिए पूर्व में कोटेशन निकाला गया था तो पौने दो लाख खर्च की बात कही गई। इसका प्रपोजल भोपाल भेजा तो मंजूरी अब तक नहीं आई। दोबारा प्रपोजल भेजते हैं, मंजूरी आते ही डीजी सेट इंस्टाल करवाएंगे।

पीएल वर्मा प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज शहडोल

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