Shahdol News: नहीं मिला आवास सहायता योजना का लाभ, कमरे का किराया भरते परेशान

  • एक हजार रूपए प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह दिए जाने का प्रावधान
  • आदिवासी छात्रों की पढ़ाई पर भारी किराए का कमरा
  • आवास सहायता योजना से लाभ मिलने पर उन्हें बड़ी आर्थिक मिलेगी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-15 14:41 GMT

Shahdol News: पुष्पराजगढ़ से बेहतर पढ़ाई की उम्मीद लेकर आदिवासी छात्रा क्रांति खुशराम शहडोल पहुंची तो पहले उन्हें हास्टल नहीं मिला। तब बताया गया कि जनजातीय कार्य विभाग के माध्यम से चलाई जा रही आवास सहायता योजना के माध्यम से किराए के कमरे की राशि मिल जाएगी, इससे पढ़ाई में आर्थिक मदद मिलेगी और पढ़ाई अच्छे से हो जाएगी। क्रांति बताती हैं कि पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में इतिहास विषय से फाइनल की पढ़ाई पूरी हो गई पर तीन साल में एक भी साल आवास योजना और छात्रवृत्ति योजना का लाभ नहीं मिला। प्रत्येक शिक्षण सत्र में इस योजना का लाभ लेने के लिए फार्म भरा और हर बार उम्मीदों पर पानी फिरता गया।

संभागीय मुख्यालय में संचालत शासकीय कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे कई आदिवासी छात्रों की पीड़ा क्रांति जैसी ही है। इन छात्रों को हॉस्टल नहीं मिला तो किराए कमरा लेकर पढ़ाई प्रारंभ की। ऐसे छात्र व उनके अभिभावकों को उम्मीद थी कि आवास सहायता योजना से आर्थिक मदद मिलेगी पर ऐसा हुआ नहीं। बता दें कि आवास सहायता योजना में अनुसूचित जाति वर्ग के आवेदकों को शासकीय अथवा मान्यता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में नियमित विद्यार्थी के रूप में पढ़ाई करने और किसी शासकीय छात्रावास में प्रवेश होने पर किराए के कमरे के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान है। भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर एवं उज्जैन नगरों में दो हजार रूपए प्रतिमाह और जिला मुख्यालय में एक हजार 250 रूपए तहसील एवं विकासखण्ड स्तर पर एक हजार रूपए प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह दिए जाने का प्रावधान है।

शिक्षण सत्र प्रारंभ हुए पांच माह बीते, आवेदन के लिए पोर्टल ही नहीं खुला

पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहर कैंपस के बाहर खड़े ये छात्र शहडोल जिले के अलग-अलग गांव व नगर से पढ़ाई करने के लिए शहडोल पहुंचे हैं। सभी छात्र किराए का कमरा लेकर यहां पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें ब्यौहारी से आए विकास रजक, अभिषेक ङ्क्षसह केशवाही, प्रवीण रजक ब्यौहारी, सत्यम सिंह गोड़ ब्यौहारी, रवि सिंह गोड़ ब्यौहारी और रविशंकर गोड़ तुम्मी छोट शामिल हैं। समूह के आदिवासी छात्रों ने बताया कि इस शिक्षण सत्र प्रारंभ हुए पांच माह हो जाने के बाद भी आवास सहायता योजना का पोर्टल ही नहीं खुला। इस बीच कमरे के किराए पर आर्थिक परेशानी झेल छात्र कई बार कॉलेज में अधिकारियों से बात भी की। उन्हें हर बार यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि आवेदन के लिए पोर्टल खोलने का काम जनजातीय कार्य विभाग से होगा। इनमें से अधिकांश छात्रों के अभिभावकों में कोई किसान हैं तो कोई छोटे कारोबारी। छात्रों का कहना है कि आवास सहायता योजना से लाभ मिलने पर उन्हें बड़ी आर्थिक मिलेगी।

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