Shahdol News: टूट रहा आदिवासियों के स्वरोजगार का सपना
- बिरसामुंडा स्वरोजगार योजना में आवेदन देकर कार्यालय के चक्कर लगाते हुए परेशान
- हर बार कर्मचारी कोई न कोई कारण बताकर लौटाते रहे।
- अलग-अलग कारोबार के लिए आवेदन किया पर ज्यादातर की उम्मीदें पूरी नहीं हुई।
Shahdol News: भगवान बिरसामुंडा स्वरोजगार योजना के सहारे अंचल के कई आदिवासी युवाओं ने स्वयं के कारोबार से लेकर स्वरोजगार का सपना संजोया तो इन युवाओं की उम्मीदों पर सिस्टम भारी पड़ गया। बैगा आदिवासी परिवार के युवाओं ने योजना के तहत अलग-अलग कारोबार के लिए आवेदन किया पर ज्यादातर की उम्मीदें पूरी नहीं हुई।
कुछ युवा 9 माह तो कुछ डेढ़ साल से ज्यादा समय में दो से तीन बार तक जनजातीय कार्य विभाग से लेकर आदिवासी वित्त एवं विकास निगम कार्यालय के चक्कर लगाए। हर बार कर्मचारी कोई न कोई कारण बताकर लौटाते रहे। थककर इन युवाओं ने दूसरा काम ही प्रारंभ कर दिया।
भगवान बिरसामुंडा स्वरोजगार योजना में 18 से 45 वर्ष के युवाओं के उद्योग इकाई के लिए एक लाख से 60 लाख रूपए व सेवा इकाई खुदरा व्यवसाय के लिए एक लाख से 25 लाख रूपए तक की परियोजाओं को मंजूरी का प्रावधान है। जिला अंतव्यवसायी विभाग के फील्ड डायरेक्टर केपी नामदेव बताते हैं कि विभाग से प्रकरण बनाकर बैंक भेज दिया जाता है।
बैंक आवेदकों के सिविल रिकॉर्ड से लेकर उनके परिवार का सिविल चेक करता है। कहीं भी बैंक को लगा कि ऋण की किश्तें समय पर जमा नहीं होगी तो लोन रिजेक्ट कर देते हैं। 80 प्रतिशत मामलों में ऐसा होता है। इसलिए हमारे द्वारा चार गुना आवेदन भेजा जाता है।
सपना था स्वयं के कारोबार का, कोई चपरासी बना, कई बेरोजगार
बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद सपना था कि स्वयं का हार्डवेयर दुकान खोलूंगा। हमारे गांव से ही आगे विश्वविद्यालय है तो दुकान भी ठीक-ठाक चल जाती। इसके लिए भगवान बिरसामुंडा स्वरोजगार योजना में एक लाख रूपए लोन का आवेदन किया। आवेदन किए हुए डेढ़ साल हो गए पर राशि स्वीकृत नहीं हुई। इस बीच कई बार कार्यालय के चक्कर भी लगाए। चूकि शादी हो गई है इसलिए परिवार चलाने के लिए निजी बैंक में चपरासी काम कर रहे हैं।
पिंकू बैगा ग्राम धुरवार
स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद सब्जी का व्यवसाय करने के लिए भगवान बिरसामुंडा स्वरोजगार योजना से ऋण लेने के लिए आवेदन किया। कार्यालय गया तो वहां केवायसी ही कम्प्लीट नहीं हुआ। पिछले साल जुलाई से अब तक तीन बार कार्यालय पर फार्म ही जमा नहीं हुआ। थक कर अब घर की बाड़ी में सब्जी लगा रहे हैं। पर बाड़ी 50 डिसमिल ही है, इसलिए गुजारा नहीं होगा। ऋण मिल जाता तो ज्यादा क्षेत्र में सब्जी लगाकर व्यवसाय करने का सपना था।
भैयालाल बैगा ग्राम मझगवां
भगवान बिरसामुंडा स्वरोजगार योजना से ऋण लेकर गांव में टेंट व डीजे का कारोबार करना था। नौ माह पहले आवेदन जमा किया तो 7 लाख रूपए ऋण देने की बात कही गई। इन नौ माह में दो बार कार्यालय भी गया तो हर बार पूछते कि पावती दिखाओ। जबकि फार्म भरने के दौरान पावती मिली ही नहीं थी। एक बार और गया पर लगा कि ऋण नहीं मिलेगा तो निजी बैंक में चपरासी का काम कर रहा हूं।
राहुल बैगा ग्राम मझगवां