बताया जनहित के हानिकारक: सुप्रीम कोर्ट ने पुणे में कचरा संयंत्र बंद करने के एनजीटी के आदेश को खारिज किया
- कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को बंद करना जनहित के लिए हानिकारक
- एनजीटी के आदेश को खारिज किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पुणे के बानेर में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र (जीपीपी) को बंद करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को बंद करना जनहित के लिए हानिकारक होगा। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ पुणे नगर निगम (पीएमसी) और नोबल एक्सचेंज एनवायरनमेंट सॉल्यूशन पुणे एलएलपी (प्लांट ऑपरेटर) द्वारा एनजीटी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि जीपीपी को बंद करना जनहित को ध्यान में रखने के बजाय जनहित के लिए हानिकारक होगा। यदि विचाराधीन जीपीपी को बंद कर दिया जाता है तो पुणे शहर के पश्चिमी भाग में उत्पन्न होने वाले जैविक कचरे को पूरे शहर से होते हुए हडपसर ले जाना होगा, जो शहर के पूर्वी भाग में है। इससे निस्संदेह दुर्गंध फैलेगी और जनता को परेशानी होगी।
पीठ ने सुनवाई में पीएमसी और संयंत्र के संचालक को यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया कि आस-पास की इमारतों में रहने वाले लोगों को दुर्गंध के कारण परेशानी न हो। साथ ही संयंत्र के चारों ओर सघन वृक्षारोपण करने का भी निर्देश दिया ताकि आवासीय क्षेत्रों के लिए हरित बफर बनाया जा सके, जो पहले से ही जैव-विविधता पार्क के लिए नामित है। अदालत ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया कि वह निकटवर्ती जैव-विविधता पार्क में मियावाकी वनों को विकसित करने पर विचार करें।
गौरतलब है कि स्थानीय निवासियों के एक समूह ने एनजीटी में अर्जी दायर कर दावा किया था कि प्लांट के कारण वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे निवासियों के स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। यह भी बताया था कि जीपीपी जिस भूमि पर स्थित है वह मूल रुप से शहर की 2005 की विकास योजना में जैव विविधता पार्क के लिए नामित की गई है। इस शिकायत पर एनजीटी ने एक संयुक्त निरीक्षण समिति गठित की, जिसने रिपोर्ट दी कि जीपीपी प्रदूषण और दुर्गंध पैदा कर रहा था। एनजीटी ने 27 अक्टूबर 2020 को प्लांट बंद करने और इसे दूसरी जगह स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। एनजीटी के इस आदेश को पीएमसी और नोबल एक्सचेंज एनवायरमेंट सॉल्यूशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।