Pune news: नैक ने दिया भारती विद्यापीठ को ए ++, सात साल के लिए मिला यह दर्जा

  • भारती विद्यापीठ (विश्वविद्यालय) को नैक की ओर से पुनर्मूल्यांकन में ए++मिला
  • विवि का उच्चस्तरीय शिक्षा तथा गुणवत्ता पर जोर रहा है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-14 09:28 GMT

Pune News : भारती विद्यापीठ (विश्वविद्यालय) को नैक की ओर से पुनर्मूल्यांकन में ए++मिला है। विवि को 360 स्कोर मिला है। भारती विवि का उच्चस्तरीय शिक्षा तथा गुणवत्ता पर जोर रहा है। विवि के कुलपति डॉ. विवेक सावजी ने कहा कि नैक ने हमारी मेहनत पर मुहर लगाई है। उनका दावा है कि देश के केवल 50 विवि के पास नैक का ए++ है। डॉ. सावजी ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि भारती विद्यापीठ स्वायत विवि का मूल्यांकन करने के लिए नैक समिति ने 24,25 और 26 अक्टूबर को विवि का दौरा किया था। अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया, मूलभूत सुविधाएं, गुणवत्ता, संशोधन, व्यावसायिक गतिविधियां, विद्यार्थियों का नौकरी और व्यवसाय का अनुपात, समाज के वंचित वर्ग तक शिक्षा की पहुंच ले जाने की कोशिश आदि विभिन्न आधारों पर मूल्यांकन कर भारती विद्यापीठ को सात साल के लिए ए++ मिला है। नैक की ओर से अब तक विवि का चौथी बार मूल्यांकन किया जा चुका है। इससे पहले के तीनों मूल्यांकनों में विवि को 7 साल के लिए ए तथा ए+ का दर्जा मिला था। इस दृष्टि से भारती विवि देश के उन चुनिंदा विवि में से एक है, जिन्हें यह गौरव मिला है। विवि के ‘इर्षा’ व ‘पर्यावरण’ संस्था में होने वाले मूलभूत शोध, नई शिक्षा नीति का अमलीकरण तथा विवि व उद्योग क्षेत्र के परस्पर संबंध से विद्यार्थियों को उपलब्ध होने वाले कई अवसरों को नैक समिति ने रेखांकित किया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में विद्यार्थियों को जिन कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है उसका अनुभव हमारे संस्थापक कुलपति डॉ. पतंगराव कदम ने स्वयं लिया है। ग्रामीण इलाकों के पिछड़े रहने की वजह शैक्षणिक साधनों तथा सुविधाओं का अभाव है। बहुजन समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा पहुंचाए बिना समाज की उन्नति का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता। डॉ. कदम ने इसे महसूस कर गतिमान शिक्षा से समाज परिवर्तन का लक्ष्य अपने सामने रखा। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए उन्होंने 19 साल की उम्र में 10 मई 1964 को पुणे के कसबा पेठ में विवि की स्थापना की। केवल 10 बाई 10 के कमरे से शुरू हुए विवि ने आज 60 सालों में कई मुकाम हासिल किए हैं। डॉ. कदम की ध्येय निष्ठा, अथक परिश्रम, गुणवत्ता का ध्यान रखना, दूर दृष्टि से विवि ने सफलता हासिल की है। शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकास में विवि ने अमूल्य योगदान दिया है। देश में हमारे कई शैक्षणिक संकुल हैं। सभी विषयों को हमारे यहां पढ़ाया जाता है। ग्रामीण और शहरी संस्कृति का मेल, महानगरों के साथ ग्रामीण, दुर्गम और आदिवासी भाग में बेहरतीन शिक्षा केंद्र बना उन लोगों को मुख्य प्रवाह में लाया जा रहा है। आदिवासियों, महिलाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए उन तक शिक्षा पहुंचाने की पहल से भारती विवि की कीर्ति विश्व स्तर तक है।

विवि को वर्ष 1996 में स्वायत्त का दर्जा दिया

भारती विवि को भारत सरकार ने 1996 में स्वायत्त का दर्जा दिया था। बीते 28 सालों में भारती विवि ने गुणवत्ता बनाए रखा और प्रतिष्ठित विवि के रूप में ख्याति अर्जित की। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विवि को ‘ए’ ग्रेड दिया है। साथ ही नैक पुनर्मूल्यांकन में मिला ए++ का दर्जा, एनआईआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा) में महाविद्यालयों को मिला स्थान आदि महत्वपूर्ण है। विवि के विद्यार्थी पूरे विश्व में कार्यरत है। नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया में कुलपति डॉ. शिवाजीराव कदम, भारती विद्यापीठ के कार्यवाहक डॉ. विश्वजीत कमद का योगदान रहा। विवि के हेल्थ साइसेंस के कार्यकारी संचालक डॉ. अस्मिता जगताप, कुलसचिव जी जयकुमार ने भी सहयोग दिया।

  

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