Pune News: मनपा की मनमानी से परेशान ग्रामीणों ने लगाए बैनर, बिक रहे हैं 32 गांव- खरीदार चाहिए
- मनमानी से परेशान ग्रामीणों का आंदोलन
- बैनरों पर लिखा पुणे में बिक रहे 32 गांव, खरीदार चाहिए
- गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ
Pune News : लोगों के भी विरोध करने का तरीका हमेशा एक सा नहीं रहता है। इस बार तो पुणे महापालिका में शामिल किए गए 32 गांवों के ग्रामीणों ने बुनियादी सुविधाएं नहीं होने और मनमाना टैक्स वसूलने का आरोप मनपा प्रशासन पर लगाया है। मनपा की कार्यप्रणाली से नाराज ग्रामीण अब 'गांव बेचना है' के बैनर लगाकर खरीदार का इंतजार कर रहे हैं। शहर के धायरी, नर्हे, आंबेगांव, किरकिटवाडी, नांदोशी, खडकवासला, उत्तमनगर, शिवणे, कोंढवे, कोपरे सहित सभी 32 गांवों में ये बैनर लगाए गए हैं।
मनपा नहीं चेती तो आंदोलन तेज किया जाएगा
मनपा में शामिल गांवों के ग्रामीण पुणे मनपा से नाराज हैं। बैनरों पर लिखा है कि पुणे मनपा द्वारा लगाया गया दमनकारी टैक्स का भुगतान नहीं किया जा सकता। इसका मतलब है कि वे मनपा द्वारा लगाए गए टैक्स से नाराज हैं। इसी गुस्से में उन्होंने मनपा में शामिल 32 गांवों की कृति समिति ने 'गांव बेचना है' के बैनर लगाए हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि मनपा ने इसकी गंभीरता को समझते हुए कोई कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ
पुणे महापालिका में शामिल किए गए धायरी, नर्हे, आंबेगांव, किरकिटवाडी, नांदोशी, खड़कवासला, उत्तम नगर, शिवणे, कोंढवे, कोपरे जैसे 32 गांवों में ये बैनर लगाए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांवों में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को नहीं मिल रही हैं। ऐसे में मनपा द्वारा व्यवसायिक संपत्तियों के साथ आवासीय संपत्तियों पर मनमाना टैक्स वसूला जा रहा है। इस टैक्स का भुगतान नहीं कर सकते, इसलिए इन गावों को बेचना है । पुणे मनपा के खिलाफ विरोध स्वरूप ग्रामीणों ने जगह-जगह ऐसे बैनर लगाए हैं। मनपा हमें किसी भी प्रकार की सुविधा प्रदान नहीं करती। लेकिन, टैक्स वसूला जाता है. हमारे पास टैक्स देने की क्षमता नहीं है। इसलिए इन गावों को खरीद लिया जाए।
महेश पोकले, विभाग प्रमुख, शिवसेना, धायरी के मुताबिक मनपा में शामिल गावों में कूड़े की समस्या गंभीर है। कूड़ा नहीं उठाया जाता। ग्राम पंचायत के दौरान एक घंटा तो पानी आता था, लेकिन मनपा में शामिल होने के बाद तीन-तीन दिन पानी नहीं आता। संपत्तियों पर लगाया गया टैक्स तीन गुना ज्यादा है। एक तरफ बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, दूसरी तरफ ग्रामीणों से टैक्स वसूला जा रहा है।