Pune News: सीबीआई ने साइबर गैंग के पुणे-हैदराबाद सहित 32 ठिकानों पर मारा छापा, 26 गिरफ्तार

  • पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद सहित कई स्थानों पर एकसाथ की कार्रवाई
  • 26 आरोपियों को किया गिरफ्तार
  • पुणे-हैदराबाद सहित 32 ठिकानों पर छापा
  • बैंक खातों से अनधिकृत लेन देन का देते थे झांसा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-30 15:05 GMT

Pune News : सीबीआई ने एक संगठित साइबर अपराध नेटवर्क के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 26 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया और 32 स्थानों पर एक साथ छापेमारी कर इस नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया। इस नेटवर्क ने वैश्विक स्तर पर लोगों को शिकार बनाया था।

सीबीआई की अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन डिवीजन ने इस संगठित साइबर अपराध नेटवर्क की जानकारी के आधार पर केस दर्ज किया। जांच के तहत सीबीआई ने 26 सितंबर 2024 की देर रात पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद और विशाखापत्तनम के 32 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। छापेमारी के दौरान सीबीआई ने चार कॉल सेंटर्स में 170 लोगों को ऑनलाइन आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया।

ये कॉल सेंटर्स थे :

1. वी.सी. इंफ्रोमेट्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड, रीजेंट प्लाजा, पुणे।

2. वी.सी. इंफ्रोमेट्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मुरली नगर, विशाखापत्तनम।

3. वियाजेक्स सॉल्यूशंस, हैदराबाद।

4. अत्रिया ग्लोबल सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड, विशाखापत्तनम।

पुणे के भी 10 आरोपी शामिल

अब तक सीबीआई ने 26 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 10 पुणे, 5 हैदराबाद और 11 विशाखापत्तनम से हैं। इन सभी पर साइबर अपराधों में शामिल होने का आरोप है। इसके अलावा, अवैध कॉल सेंटर्स में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

इस ऑपरेशन के दौरान सीबीआई ने महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य और अपराध से जुड़े आपत्तिजनक सामग्रियों को जब्त किया है। कुल 951 वस्तुएं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन, लैपटॉप, वित्तीय जानकारी, संचार रिकॉर्ड और अन्य आपत्तिजनक सामग्री शामिल हैं, जब्त की गईं। इसके अलावा 58.45 लाख रुपये नकद, लॉकर की चाबियां और तीन लग्जरी वाहन भी बरामद हुए हैं।

बैंक खातों से अनधिकृत लेन देन का देते थे झांसा

इस साइबर अपराध नेटवर्क ने विभिन्न अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें मुख्य रूप से तकनीकी सहायता के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया गया। आरोपी नागरिकों को यह विश्वास दिलाते थे कि उनके सिस्टम हैक हो गए हैं और उनकी पहचान चोरी हो गई है। इसके अलावा, उन्हें यह भी बताया जाता था कि उनके बैंक खातों से अनधिकृत लेन-देन हो रहे हैं और वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी में हैं। इसके बाद, अपराधी पीड़ितों से उनके धन को नए बैंक खातों में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर करते थे, जिसे वे सुरक्षित रखने के बहाने देते थे। कई मामलों में, पीड़ितों से अंतरराष्ट्रीय गिफ्ट कार्ड्स या क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से धन हस्तांतरित करवा लिया गया। सीबीआई अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे इंटरपोल के साथ मिलकर इस व्यापक साइबर अपराध नेटवर्क की जांच कर रही है।

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