पुणे: धुर विरोधियों को साधने में जुटे पवार, 55 साल बाद अपने कट्टर विरोधियों से मिले
- काकडे़ परिवार ने शरद पवार के खिलाफ लड़े कई चुनाव
डिजिटल डेस्क, पुणे। अपने गढ़ बारामती में बेटी सुप्रिया सुले की जीत को सुनिश्चित करने के लिए राकांपा नेता शरद पवार कोई कसर नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए पवार अपने धुर विरोधियों को भी साधने में लगे हुए हैं। शुक्रवार को उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पूर्व सांसद स्व. संभाजीराव काकड़े, स्व. बाबालाल काकड़े के परिवार से मुलाकात की। शरद पवार 55 साल बाद काकड़े परिवार से मिले हैं। काकड़े परिवार और राकांपा सुप्रिमो शरद पवार के परिवार में पिछले कई साल से राजनीतिक दुश्मनी चल रही है। काकड़े को राजनीति में पवार के प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाना जाता था। काकड़े ने कई बार पवार के खिलाफ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण मानी जा रही मुलाकात: पिछले पांच वर्षों से उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुद को काकड़े परिवार के साथ जोड़ना शुरू कर दिया है। इसके तहत उन्होंने किसान संघर्ष समिति के नेता सतीश काकड़े के बेटे अभिजीत काकड़े को सोमेश्वर सहकारी चीनी फैक्ट्री के निदेशक पद पर मौका भी दिया है। हालांकि राकांपा में हुई फूट के बाद और बारामती लोकसभा चुनाव में पवार बनाम पवार की लड़ाई में पवार की काकड़े से मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
काकडे़ परिवार ने शरद पवार के खिलाफ लड़े कई चुनाव
बारामती क्षेत्र में काकड़े बनाम पवार का संघर्ष जगजाहिर है। जिला परिषद, पंचायत समिति से लेकर विधायक, सांसद के साथ-साथ जिला बैंक, सहकारी शुगर फैक्ट्री, पतसंस्था, बाजार समिति तक के चुनाव में काकड़े परिवार के सदस्यों ने पवार परिवार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। काकड़े को पवार के कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाना जाता था। पूर्व सांसद संभाजीराव काकड़े की पत्नी कंठावती काकड़े का हाल ही में निधन हो गया। इसी पृष्ठभूमि में वरिष्ठ नेता शरद पवार ने काकड़े परिवार से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। पवार ने यह बैठक श्यामराव काकड़े के आवास पर की। इस अवसर पर काकड़े परिवार से सतीश काकड़े, अभिजीत काकड़े सहित कई लोग उपस्थित थे।
राजनीतिक मतभेद भुलाकर चंद्रराव तावरे से की मुलाकात
वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भाजपा नेता और मालेगांव शुगर फैक्ट्री के पूर्व अध्यक्ष चंद्रराव तावरे से सांगवी (बारामती) स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। तावरे वैसे तो बीजेपी नेता हैं, लेकिन उन्हें शरद पवार के पुराने सहयोगी के तौर पर जाना जाता है। करीब पंद्रह साल के इंतजार के बाद इन दोनों नेताओं के बीच बंद दरवाजे में पंद्रह मिनट तक बातचीत हुई, लेकिन लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले को मदद के लिए पवार-तावरे की मुलाकात अहम मानी जा रही है। विशेष रूप से तावरे ने मांग की थी कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पुरंदर और इंदापुर तालुका जैसे बारामती में भी भाजपा पदाधिकारियों को सुनने के लिए अलग से समय देना चाहिए। पर, फणसवीस और तावरे की मुलाकात से पहले ही शरद पवार ने अपने राजनीतिक मतभेद भुलाकर तावरे से मुलाकात की। इस पर तावरे ने बताया कि यह कोई राजनीतिक भेंट नहीं थी। सांगवी में पवार दूसरे काम से आए थे, इस दौरान वे घर आए। एक-दूसरे की तबीयत को लेकर चर्चा हुई। पारिवारिक हालचाल हुआ। शरबत लिया और पवार साहब चले गए। कोई अन्य चर्चा नहीं हुई।