पलटवार: शाह की टिप्पणी पर पवार ने पूछा, पहले बताएं 10 साल में किसानों के लिए क्या किया
- केन्द्र ने विदर्भ को कुछ नहीं दिया
- अमित शाह के पास क्या है जवाब?
- 10 साल पहले क्या हुआ उस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं
डिजिटल डेस्क, पुणे। अमरावती की प्रचार सभा में किसानों की आत्महत्या को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शरद पवार को जिम्मेदार ठहराते गंभीर आरोप लगाया था। इसके जवाब में पुणे में शरद पवार ने अमित शाह को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। पवार ने कहा कि, 2014 से 2024 इन 10 सालों से केन्द्र में भाजपा की सरकार है। इसलिए उन्होंने इन 10 सालों में किसानों के लिए क्या किया? यह सबसे पहले बताए। इन शब्दों में शरद पवार ने अमित शाह पर पलटवार किया है।
- क्या कहा था अमित शाह ने
बुधवार को अमरावती में हुई अमित शाह की चुनावी सभा में विदर्भ में किसानों की आत्महत्या के लिए शरद पवार को जिम्मेदार ठहराया था। कई वर्षों तक केन्द्र में कृषि मंत्री और उससे पहले मुख्यमंत्री रहने के बावजूद विदर्भ में हजारों किसानों ने आत्महत्या की। फिर भी आपने विदर्भ की सिंचाई के लिए कुछ नहीं किया। अमित शाह ने कहा था कि शरद पवार विदर्भ में आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों से माफी मांगें, उनकी विधवाओं से माफी मांगें। इसी बीच, गुरुवार को शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र पवार के हाथों प्रकाशित किया गया। इस घोषणा पत्र में किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए बड़े वादे किए गए हैं। इस समय पवार ने विदर्भ में किसानों की आत्महत्या को लेकर उनकी आलोचना करने वाले अमित शाह की जमकर खबर ली।
- 10 साल पहले क्या हुआ उस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं
शरद पवार ने कहा कि अमित शाह को उनकी सरकार के 10 साल पहले या 20-40 साल पहले किसने क्या किया था, इसका स्पष्टीकरण मांगने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कृषि के बारे में सीमित जानकारी है, उनके प्रश्नों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। साथ ही उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।
- अमित शाह के पास क्या है जवाब?
अमित शाह की आलोचना पर जयंत पाटील ने आंकड़े पेश कर शाह की आलोचना की। 2001 से 2013 के बीच अमरावती जिले में हर साल आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 168 थी। वहीं, भाजपा सरकार की 2014-2024 के बीच अमरावती जिले में किसान आत्महत्या की संख्या हर साल 353 हो गयी है। साथ ही अकोला में यह संख्या 109 से 171 हो गयी, यवतमाल में यह संख्या 214 से बढ़कर 324 हो गई। बुलढाना में किसान आत्महत्याओं की संख्या 117 से बढ़कर 289 हो गई। वाशिम में यह संख्या 81 से बढ़कर 101 हो गयी। इसका मतलब मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान किसान आत्महत्या ज्यादा हुई है। इसका अमित शाह के पास क्या जवाब है, ऐसा सवाल जयंत पाटील ने पूछा।
- केन्द्र ने विदर्भ को कुछ नहीं दिया
शरद पवार के कार्यकाल के दौरान जब किसान आत्महत्या करने लगे तब पवार ने यवतमाल में एक सम्मेलन आयोजित कराया, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बुलाया था। विदर्भ के पांच जिलों में जहां किसानों की आत्महत्या की दर अधिक है, वहां उपाय किए गये। अब पिछले 10 सालों में इतनी आत्महत्याएं होने के बाद भी केंद्र सरकार ने विदर्भ के लोगों को कुछ नहीं दिया। अमरावती विभाग में सिंचाई के बैकलोग को पूरी नहीं कर सके, ऐसा आरोप जयंत पाटील ने लगाया।