पुणे: इंसान और पशुओं की मौत का सही समय बताने वाले कीट की नई प्रजाति खोजी

  • पुणे के भारतीय प्राणी सर्वेक्षण
  • वैज्ञानिक डॉ. अपर्णा कलावटे की सफलता
  • कीट का नाम रखा मोरेश्वर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-04 14:01 GMT

डिजिटल डेस्क, पिंपरी चिंचवड़। पुणे स्थित भारतीय प्राणी सर्वेक्षण पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र की वैज्ञानिक डॉ. अपर्णा सुरेशचंद्र कलावटे ने कीट की एक नई प्रजाति की खोज की है। इस कीट का नाम मोरेश्वर रखा गया है, क्योंकि यह महाराष्ट्र के अष्टविनायकों में से एक मोरगांव में मयूरेश्वर मंदिर के पास पाया गया था। फॉरेंसिक साइंस के लिए मोरेश्वर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने वाला है क्योंकि मोरेश्वर कलावटे किसी जानवर या इंसान की मौत का सही समय पता लगाने में मददगार साबित होगा।

फोरेंसिक साइंस के हिसाब से अहम खोज

मोरेश्वर को केराटिन भी कहा जाता है, क्योंकि यह ट्रोगिडे परिवार का नेक्रोफैगस है। किसी जीव की मृत्यु के बाद शरीर के विघटन के दौरान ब्लोफ्लाइज़ पहला चरण है। इसके बाद विभिन्न शिकारी कीड़े आते हैं। ये कीट बड़ी संख्या में लार्वा खाते हैं। जब अधिकांश नरम ऊतक खा लिया जाता है, तो कई अन्य कीड़े आ जाते हैं जो शेष त्वचा, बाल, उपास्थि और हड्डी को खा जाते हैं। शव पर केराटिन फीडर के आगमन के साथ अंतिम छंटाई चरण तक पहुंच जाता है। इसलिए फोरेंसिक साइंस में इनका महत्व बहुत ज्यादा है।

ट्रोगिड बीटल पर काम करने वाली पहली वैज्ञानिक

डॉ. अपर्णा ने कहा ये छोटे जानवर मृत जानवरों के शवों को खाकर पर्यावरण को साफ करने में मानव जाति की मदद कर रहे हैं। साथ ही, शवों पर उनकी मौजूदगी किसी जीव की मृत्यु की गणना करने में फोरेंसिक वैज्ञानिकों के लिए सहायक हो सकती है। केराटिन बीटल का आमतौर पर ओरिएंटल क्षेत्र और विशेष रूप से भारत में दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में कम अध्ययन किया जाता है। आज तक केवल विदेशी वैज्ञानिक ही भारतीय त्रासदीय जीव-जंतुओं का वर्णन कर रहे थे। ट्रोगिड बीटल पर काम करने वाले डॉ. अपर्णा पहली भारतीय वैज्ञानिक हैं।

मौत कहां, किस जगह और क्यों हुई, सबका राज खुलेगा

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की निदेशक डॉ धृति बनर्जी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पुणे की वैज्ञानिक डॉ अपर्णा सुरेशचंद्र कलावटे ने मृत्यु का सटीक समय पता लगाने वाले कीट की एक नई प्रजाति की खोज की है। डॉ बनर्जी ने बताया कि कीट की इस नई प्रजाति से यह तो पता चलेगा ही कि किसी इंसान की मौत कब हुई है, साथ ही इसके रासायनिक विश्लेषण से यह भी जानकारी मिलेगी कि संबंधित इंसान की मौत किस जगह पर हुई है? मतलब अगर किसी व्यक्ति की मौत नदी के किनारे हुई है और उसके शव को वहां से दूर किसी जंगल में फेंक दिया गया है, तब भी इसके माध्यम से हमें यह सटीक जानकारी मिल पाएगी कि संबंधित व्यक्ति की मौत नदी किनारे हुई है। उन्होंने इस खोज के लिए डॉ. अपर्णा कलावटे की प्रशंसा की है।

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