वीडियो वायरल: ससून अस्पताल के निर्दयी डॉक्टर ने पैर कटे बेसहारा मरीज को सड़क किनारे फिकवाया, रूंह कंपा देगी ये हरकत

  • ससून अस्पताल में नया कारनामा
  • पैर कटे बेसहारा मरीज को भगवान भरोसे छोड़ा, मध्य प्रदेश का रहने वाला है मरीज
  • निर्दयी डॉक्टर के खिलाफ समिति गठित, आरोपी डॉक्टर निलंबित
  • बेरहारा मरीजों का सड़क किनारे फिकवा देते थे डॉक्टर
  • सामाजिक कार्यकर्ता दादासाहब गायकवाड और रितेश गायकवाड ने किया भंडाफोड़

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-23 15:11 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। कहते हैं डॉक्टर भगवान बराबर होता हैै, लेकिन ससून अस्पताल के एक डॉक्टर ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। एक मरीज जिसके पैर कटे हैं, इलाज करने की बजाए उसे सड़क किनारे फेंक दिया गया। जिसके बाद अब अस्पताल में मरीजों की सुरक्षा का सवाल भी खड़ा हो गया है। वीडियों वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया। इस मामले के लिए अब जांच समिति गठित कर दी गई है। बैसे ससून अस्पताल अक्सर ही विवादों में घिरा रहता है। इस बार डॉक्टर ने निलेश नामक बेसहारा मरीज को येरवड़ा में सड़क किनारे बरगद के नीचे फेंक दिया। जब यह घटना सामने आई, तब पुलिस और अस्पताल प्रबंधन की नींद खुली। आनन-फानन में अज्ञात डॉक्टर के खिलाफ येरवड़ा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। साथ ही ससून जनरल अस्पताल के डीन ने संबंधित दो डॉक्टरों को निलंबित किया है।


ऐसी जगह छोड़ना, मरीज वापस अस्पताल नहीं आए

इस मामले का भांडाफोड़ सामाजिक कार्यकर्ता दादासाहेब गायकवाड और रितेश गायकवाड ने किया। उनका आरोप है कि ससून जनरल अस्पताल में जो मरीज बेसहारा होते हैं, जिनके रिश्तेदार नहीं होते, ऐसे मरीजों के इलाज में आनाकानी की जाती है। इलाज के बजाय उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। ऐसे मरीजों को किसी ठिकाने पहुंचाने के लिए एक रिक्शावाला भी तय कर रखा गया है, जिसे एक मरीज के लिए हजार रुपए दिए जाते हैं।

समाजसेवक दादासाहेब गायकवाड ने बताया कि हमने तीन महीनों से ससून जनरल अस्पताल पर नजर बनाए रखी थी। हमें पता चला था कि अस्पताल के डॉक्टर बेसहारा मरीजों को रात के अंधेरे में सुनसान इलाके में छुड़वा देते हैं। इसी कड़ी में जब रितेश गायकवाड नामक शख्स अपना रिक्शा लेकर ससून जनरल अस्पताल के आउट गेट पर रूका था। रात डेढ़ बजे के करीब कोई डॉक्टर आया और उसने रितेश गायकवाड से कहा कि एक मरीज को ले जाना है। रितेश गायकवाड ने जब पूछा कि मरीज को कहां छोड़ना है, तब डॉक्टर ने कहा कि ऐसी जगह, जहां से वह वापस न आ सके।

रितेश ने जवाब दिया कि मुझे ऐसी कोई जगह नहीं पता है। तब डॉक्टर ने रितेश को 500 रुपए का लालच दिया। इस पर रितेश ने कहा कि मैं अकेला नहीं जाऊंगा, किसी को साथ आना पड़ेगा। डॉक्टर ने कहा, ठीक है थोड़ी देर रुको, मैं मरीज को लेकर आता हूं। इसके बाद डॉक्टर मरीज को लेकर आया और इसे रिक्शे पर बैठाया। दो डॉक्टर बाइक पर रिक्शे के पीछे आए। दोनों डॉक्टरों ने येरवडा के पास एक पेड़ के पास जगह दिखाई और मरीज को पेड़ के पास छोड़ दिया।


फिर ससून अस्पताल में ही भर्ती

रुग्ण आधार फाउंडेशन के अध्यक्ष दादासाहब गायकवाड़ ने बताया कि रितेश गायकवाड ने मुझे कॉल कर तुरंत घटना की जानकारी दी। कुछ देर बाद मैं भी घटनास्थल पर पहुंचा। साथ ही पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। बेसहारा निलेश की हालत काफी खराब थी, उसे वापस ससून जनरल के वॉर्ड नंबर 12 में एडमिट किया गया। निलेश मध्यप्रदेश का रहनेवाला है और मजूदरी करने पुणे आया था। एक सड़क दुर्घटना में उसके दोनों पैर जख्मी हो गए थे। नागरिकों ने उसे गंभीर अवस्था में ससून जनरल अस्पताल में भर्ती कराया था। उसके दोनों पैरों का ऑपरेशन किया गया था। उसके दोनों पैर काटने पड़े थे। हालत ऐसी है कि वह चल भी नहीं सकता था और बेहोश हालत में था।

ससून अस्पताल का शर्मनाक बयान, मरीज को बताया फरार

जिस मरीज के दोनों पैर ऑपरेशन कर काट दिए गए हों, जो मरीज चल नहीं सकता था, उस मरीज को ससून अस्पताल प्रशासन ने रिकॉर्ड में फरार बताया। जब इस घटना का पर्दाफाश हुआ, तब इस पर ससून जनरल हॉस्पिटल के डीन डॉ. एकनाथ पवार ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और इसकी जांच की जा रही है। मुझे बताया गया था कि, मरीज खुद ही रिक्शा लेकर ससून अस्पताल से चला गया था। डॉ. पवार ने बताया कि जिस डॉ. आदिनाथ का नाम इस घटना में सामने आया है, वह निवासी डॉक्टर हैं, उनके साथ दूसरा कौन डॉक्टर था, इसकी जानकारी ली जा रही है। फिलहाल डॉ. आदिनाथ को निलंबित कर दिया गया है।

मरीजों की सेवा से बचने के लिए अमानवीय

बालासाहब गायकवाड़ ने बताया कि, ससून अस्तपाल में ऐसे अनेक मरीज आते हैं, जो बेसहारा होते हैं। एनजीओ की मदद से ऐसे बेसहारा मरीजों के परिजनों का पता लगा कर उन्हें उनके घर भेजा जाता है। लेकिन तब तक इन मरीजों की सेवा अस्पताल की नर्सों और डॉक्टरों को ही करनी पड़ती है। उनकी गंदगी साफ करना, मलहम-पट्टी करना आदि सेवा से बचने के लिए अनेक मरीजों को किसी सुनसान इलाके में मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

दो डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज

डीसीपी विजय मगर ने बताया कि यह काफी गंभीर मामला है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 के तहत दो डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस कंट्रोल रूम में फोन आया था कि एक बेसहारा मरीज को गंभीर हालत में एक पेड़ के नीचे छोड़ दिया गया है। खबर मिलते ही दो पुलिस कॉन्स्टेबल मौके पर पहुंचे और तुरंत मरीज को ससून जनरल  में भर्ती कराया गया है। आरोप है कि, इस प्रकार की घटनाओं को एक निश्चित रिक्शाचालक की मदद से कई बार अंजाम दिया गया है। इसलिए पुलिस अब उस रिक्शाचालक की भी खोज कर रही है। पुलिस के मुताबिक जो भी दोषी होगा, बख्शा नहीं जाएगा।

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