पुणे: स्वर्णपदक जीतने वाले कैदी की सजा में 4 माह की छूट, अपर पुलिस महासंचालक की घोषणा

  • कैदियों को दिया जा रहा शतरंज का प्रशिक्षण
  • स्वर्णपदक जीतने वाले कैदी की सजा में 4 माह की छूट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-19 15:44 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। अभी तक हम सुनते आए हैं कि व्यवहार में सुधार वाले कैदियों की सजा तय समय से पहले भी खत्म कर दी जाती हैं। यदि कोई कैदी शतरंज में माहिर है और वह स्वर्ण पदक जीतता है तो उसकी सजा में ढ़ील दी जा सकती है। ऐसी घोषणा राज्य के अपर पुलिस महासंचालक अमिताभ गुप्ता ने की। उन्होंने कहा कि कारागृह में बंद कैदी अब अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने लगे हैं। इसका दायरा बढ़ाना होगा। महाराष्ट्र के हरेक जेल में शतरंज की टीम बनाई जाएगी। जिसमें अधिक से अधिक महिला कैदियों को शामिल किया जाएगा। जो कैदी स्वर्ण पदक जीतेगा, उसे 120 दिन की पैरोल पर छोड़ा जाएगा।

कैदियों को दिया जा रहा शतरंज का प्रशिक्षण

पुणे अंतरराष्ट्रीय शतरंज संगठ (एफआयडीई) की ओर से येरवडा जेल में अंतरराष्ट्रीय द्वितीय चेस फॉर फ्रीडम का शुभारंभ हुआ। 21 जून तक चलनेवाले इस ऑनलाइन शतरंज टूर्नामेंट में कई देशों के कैदी अपना भाग्य आजमाएंगे। इस टूर्नामेंट का मुख्य मकसद कई देशों की जेलों में बंद कैदियों को शतरंज खेल का प्रशिक्षण देकर जेलों में शतरंज की स्पर्धा आयोजित करनी है। जब ये कैदी जेल से छूट कर बाहर समाज में जाएंगे तो ये लोगों को बता सकेंगें कि उनके अंदर भी हुनर है। ताकि ये लोग समाज में आत्मसम्मान के साथ जी सकें। उद्घाटन के मौके पर गुप्ता ने कहा कि परिवर्तन प्रिजन टू प्राइड नई दिशा उपक्रम के अंतर्गत येरवडा कारागृह में पिछले साल कैदियों के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन शतरंज स्पर्धा में येरवडा ने स्वर्ण पदक जीता था। यह स्पर्धा हर साल नए देश में खेली जाएगी। उन्होंने कहा कि ये कैदी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ शतरंज खेल रहे हैं। शुरु में इन कैदियों को शतरंज की कोई जानकारी नहीं थी। 200 खिलाड़ी रोज चार से पांच घंटे तैयारी करते हैं।

एक गलती जिंदगी बर्बाद कर देती है, इससे बचना शतरंज ने सिखाया

शतरंज से कैसे कैदियों की जिंदगी में सुधार आ रहा है, इसके बारे में एक महिला कैदी ने बताया कि हमें खुशी है कि हम विदेशियों के साथ शतरंज खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है , जैसे हम जेल से बाहर आकर शतरंज खेल रहे हैं। यह खेल हमारी मानसिकता को बदल रहा है। जेल में रहते हुए मानसिक तनाव, घर के बारे में विचार हमेशा आया करते हैं, लेकिन जब से हंमने शतरंज खेलना शुरू किया है, तब से हमारे मन में अच्छे विचार आ रहे हैं। अब हम हर दिन 8 घंटे शतरंज का अभ्यास करते हैं।" एक गलती जिंदगी बर्बाद कर देती है। शतरंज हमें सिखाता है कि उस गलती को दोबारा न दोहराएं। जिंदगी खूबसूरत है। जिसे हम खूबसूरती से जीना चाहते हैं।

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