पन्ना: श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह में भक्तों ने पखारे पैर, सुदामा चरित्र पर नम हुई आंखे

  • श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह में भक्तों ने पखारे पैर
  • सुदामा चरित्र पर नम हुई आंखे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-16 11:19 GMT

डिजिटल डेस्क, शाहनगर नि.प्र.। शाहनगर मुख्यालय में चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन शालिगराम गौतम द्वारा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ में रुक्मिणी विवाह और सुदामा चरित्र का अनुपम वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सुदामा की पत्नि सुशीला ने अपने पति से कहा कि तुम अपने मित्र द्वारिकाधीश से मिलने जाओ जिससे इस द्ररिद्रता का निवारण हो सके और उन्होंने पडोस से तीन मुठ्ठी चावल भेंट स्वरूप अर्पित करने के लिये दिये। अधिक परिश्रम करके सुदामा भगवान श्री कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी पहुंचे। जहां तीन मुठ्ठी चावल की भेंट श्री कृष्ण ने अथाह प्रेम एवं ममता पूर्ण स्नेह से अंगीकार कर दो मुठ्ठी सुखे ही स्वाद से खाने लगे शेष एक मुठ्ठी चावल के लिये जैसे ही उन्होंने हाथ बढाया तभी पटरानी रुक्मणी जी ने अपने लिये भी प्रसाद स्वरूप याचना की।

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जिसके बदले में श्रीकृष्ण ने सुदामा को दरिद्रता दूर कर धनवान बना दिया। इस दौरान आपस के मिलन का भावपूर्ण चित्रण सुनाया। श्रीकृष्ण ने अपने आसूंओं से सुदामा के चरण धोए और अच्छे कपडे पहनाकर ऊंचे आसन पर बैठाया। कथा के दौरान श्री कृष्ण-सुदामा के मिलन की सजीव झांकी सजाई गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने झांकी पर गुलाब की पंखुडियां बरसाकर स्वागत किया। इसके बाद रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। आगे की कथा का वाचन करते हुए कहा की रूक्मणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। कथा के समापन पर गुरूवार को परिक्षित मोक्ष के ह्रदयग्राही एवं अनुकरणीय चित्रण किया गया। इस अवसर पर कथा आयोजनकर्ता नारायण यादव, उनकी पत्नि श्रीमति सरला यादव सहित यादव परिवार ने भगवान से परिवार की सुख समृद्धि की मंगल कामना की।

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