देवेन्द्रनगर: मोक्ष हेतु उत्तम तप धर्म: आचार्य विराग सागर जी महाराज
डिजिटल डेस्क, पन्ना/देवेन्द्रनगर। प्रसिद्ध जैन संत महामुनि राज विराग सागर जी महाराज ससंघ मुनिगण पन्ना के श्रेयांश गिरी में चातुर्मास कर रहे हैं। इस बीच जैन समाज दस लक्षण महापर्व मनाया जा रहा है। पर्यूषण पर्व के अवसर पर श्रेयांश गिरी में पहँुचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई है। पर्यूषण पर्व के उपलक्ष्य में प्रतिदिन विशाल धर्म सभा में लक्षण पर्व दिवसानुसार उसके महत्व पर मुनिराज के व्याख्यान धर्मसभा में सुनने का सौभाग्य श्रद्धालुओं को प्राप्त हो रहा है। आज उत्तम तप दिवस पर महामुनि राज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कर्म क्षयार्थं तप्यते इति तप: कर्मो के क्षय के लिए जो तपा जाता है वही वास्तविकता में उत्तम तप कहा जाता है। आज संसार में बहुत सारे लोग विभिन्न प्रकार की बड़ी-बड़ी तपस्या कर लेते हैं कोई अग्नि में कूंदता है कोई पर्वत से गिरता है, किंतु लक्ष्य मात्र ख्याति, पूजा, लाभ आदि लौकिक प्रयोजनों का होता है और जैनागम में किंचित मात्र भी कार्यकारी नहीं है इसलिए जैन आचार्यों ने कर्म क्षय हेतु क्षय अंतरंग क्षय बह रंग तपों का वर्णन किया है।
तत्पश्चात महाराज जी ने बताया कि तप भी ज्ञान पूर्वक होना चाहिए क्योंकि अज्ञानी प्राणी करोड़ों जन्मों की तपस्या से जितने कर्मों की निर्जला करता है। आज तक जितने भी तीर्थंकर महापुरुष हुए उन्होंने ज्ञान पूर्वक तप का आश्रय लेकर ही कर्मों का क्षय कर मुक्ति पद प्राप्त किया। मानते हैं वर्तमान काल में इतना संहनन नहीं कि हम घोर तपश्चरण कर सके किंतु जैनागम सोलहकारण भावनाओं शक्तितत तप की बात कहता है इसलिए हम भी अधिक न हो सके तो कोई बात नहीं कम से कम छोटे-छोटे नियमों के द्वारा एक दिन उन महाव्रतों तक पहुंच सकते हैं और इस दुर्लभ मानव जीवन को सार्थक बना सकते हैं।